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Bastards of Bollywood Review : आर्यन खान का धांसू डेब्यू या इंडस्ट्री का कड़वा सच ?

शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का निर्देशन डेब्यू लंबे समय से चर्चा में था। 2025 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई उनकी पहली वेब सीरीज़ “Bastards of Bollywood” ने आते ही सुर्खियां बटोरीं। सात एपिसोड की यह ड्रामा-सैटायर सीरीज़ न केवल नेपोटिज़्म और इंडस्ट्री की पॉलिटिक्स को उजागर करती है बल्कि खुद पर चुटकी लेने से भी पीछे नहीं हटती। सवाल यही है—क्या ये शो उम्मीदों पर खरा उतरा है या सिर्फ नाम और विवाद के सहारे देखा जा रहा है?

कहानी: ग्लैमर के पीछे का अंधेरा

सीरीज़ का केंद्र है आसमान सिंह (लक्ष्य), जो एक बड़े प्रोडक्शन हाउस में इंटर्न के तौर पर कदम रखता है। शुरुआत में यह दुनिया चमकदार लगती है, लेकिन जल्द ही वह पाता है कि यहां हर मुस्कान के पीछे कोई छुपा एजेंडा है।जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, आसमान का सामना साज़िशों, गुप्त रिश्तों और सत्ता की भूख से होता है। क्लाइमेक्स में बड़ा धमाका तब होता है जब यह राज़ खुलता है कि सुपरस्टार अजय तलवार (बॉबी देओल) उसका सौतेला भाई है।

इसी मोड़ पर इंडस्ट्री के भीतर ‘Bastards of Bollywood’ नामक नया प्रोजेक्ट लॉन्च होता है, और रील-रियल की सरहदें मिट जाती हैं। फिनाले एक खुले छोर पर खत्म होता है, जिससे साफ है कि नेटफ्लिक्स ने सीज़न 2 की जमीन पहले से ही तैयार कर रखी है।

कास्ट और परफॉर्मेंस

इस शो का सबसे बड़ा आकर्षण है बॉबी देओल का दमदार अभिनय। अजय तलवार के किरदार में उन्होंने इंडस्ट्री के अहंकार और खोखली चमक दोनों को बखूबी जिया है। लक्ष्य (आसमान) अपने मासूम लेकिन जिद्दी अंदाज़ से कहानी का वजन संभालते हैं। वहीं साहेर बंबा और राघव जुयाल अपने-अपने किरदारों में ताजगी लाते हैं। मनोज पहवा ने अपने सधे हुए अभिनय से सीरीज़ को और गहराई दी।और सबसे बड़ा सरप्राइज़—शाहरुख खान का कैमियो। भले ही यह छोटा है, लेकिन इसकी एंट्री ने फैन्स को दीवाना बना दिया।

Bastards of Bollywood

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

आर्यन खान का निर्देशन साफ तौर पर यह बताता है कि वे प्रयोग करने से नहीं डरते। उन्होंने सीरीज़ को हाइब्रिड फ़ॉर्मेट (ड्रामा और सटायर का मिश्रण) में प्रस्तुत किया, जिसमें इनसाइड-जोक्स और इंडस्ट्री रेफरेंस की भरमार है। कैमरा वर्क में चमक-दमक और काले सच का सुंदर कंट्रास्ट दिखता है। एडिटिंग थोड़ी ढीली है—कुछ सबप्लॉट्स खिंचते हुए लगते हैं, जिससे पेसिंग पर असर पड़ा। लेकिन बैकग्राउंड स्कोर और संवाद कई जगह तगड़ा पंच देते हैं।

दर्शकों और समीक्षकों की प्रतिक्रिया

क्रिटिक्स ने इसे “मसाला-मेटा-मैड राइड” बताया। इंडस्ट्री पर चुटकी लेना और खुद को भी कठघरे में खड़ा करना, इसे यूनिक बनाता है। सोशल मीडिया पर #BastardsOfBollywood ट्रेंड करता रहा। मीम्स और रील्स में शो के डायलॉग वायरल हुए। खासकर यह लाइन—“नेपो-बेबी हो तो इसे हथियार बना लो।” प्रीमियर नाइट पर बॉबी देओल और आर्यन खान की रेड कार्पेट पर मज़ेदार बातचीत की क्लिप इंस्टाग्राम पर खूब चली।

विवाद और बहस

सीरीज़ का टाइटल “Bastards of Bollywood” शुरुआत से ही विवादों में रहा। कुछ ट्रेड बॉडीज़ ने आपत्ति जताई कि ‘Bastards’ शब्द अपमानजनक है। लेकिन ओटीटी कंट्रोल कमजोर होने के चलते शो पर कोई आधिकारिक रोक नहीं लगी। आर्यन खान ने खुद सफाई दी—“यह गाली नहीं, बल्कि इंडस्ट्री के पाखंड का मेटाफ़र है।” फैन्स और कई समीक्षकों ने इस बयान का समर्थन किया।

आगे क्या?

नेटफ्लिक्स ने आधिकारिक तौर पर सीज़न 2 की घोषणा नहीं की, लेकिन सूत्रों के मुताबिक स्क्रिप्ट तैयार है। व्यूअरशिप डेटा देखकर ही हरी झंडी दी जाएगी।अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो आर्यन खान अपनी ‘स्टार-किड’ छवि से बाहर निकलकर एक बेबाक निर्देशक के तौर पर अपनी पहचान पक्की कर सकते हैं। कुल मिलाकर ‘Bastards of Bollywood’ न तो सिर्फ नेपोटिज़्म पर व्यंग्य है और न ही सिर्फ मसाला एंटरटेनमेंट। यह दोनों का मिला-जुला रूप है।

छोटी-मोटी खामियों के बावजूद यह शो इंडस्ट्री की चमक-दमक के पीछे छुपे सच को उजागर करता है। आर्यन खान का निर्देशन साहसिक है—उन्होंने अपने पहले ही प्रोजेक्ट में जोखिम उठाकर साबित कर दिया कि वे सिर्फ शाहरुख खान के बेटे नहीं, बल्कि अपनी अलग पहचान बनाने आए हैं।

अंतिम राय

अगर आप बॉलीवुड के गपशप, इनसाइड-जोक्स और मेटा-ड्रामा के शौकीन हैं, तो ‘Bastards of Bollywood’ मस्ट-वॉच है। और अगर आप इसे सिर्फ आर्यन खान का नाम देखकर देखने जा रहे हैं, तो भी यह शो आपको चौंकाए बिना नहीं रहेगा।

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