World War II का बम मिला बोलपुर में, सेना ने 1 महीने बाद किया सफलतापूर्वक विस्फोट! गांव में मची हलचल, फिर आई राहत की सांस

बम

अजय नदी के किनारे मिलने वाला द्वितीय विश्व युद्ध का पुराना मोर्टार शेल एक महीने की सुरक्षा के बाद भारतीय सेना की बम निरोधक टीम ने बुधवार को नियंत्रित विस्फोट कर निष्क्रिय कर दिया। रेत निकालते समय ग्रामीणों को मिली जंग लगी गोलक मिलने पर पुलिस को सूचना दी गई; तब से क्षेत्र को घेरकर सुरक्षा में रखा गया था।

पानागढ़ की विशेषज्ञ टीम ने मौके पर आकर पहले बम के चारों ओर सुरक्षा उपाय किए — नदी तल में गड्ढा खोदा और रेत के बोरे लगाकर विस्फोट का असर कम किया गया। नियंत्रित विस्फोट के समय आस-पास के लोग दहशत में आए, कुछ दूर के घरों की खिड़कियाँ हिलीं, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। केवल पास की खेती में मामूली नुकसान और एक बड़ा गड्ढा देखने को मिला।

बम

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बम ब्रिटिश काल के सैन्य अभ्यास का अवशेष था जो वर्षों में बाढ़ के पानी से बहकर यहां आया होगा। ग्रामीणों ने राहत जताई और कहा कि अब उन्हें चैन मिला है। यह घटना याद दिलाती है कि इतिहास कई बार आज भी खतरनाक रूप में सामने आ सकता है — पर सुरक्षा बलों की तत्परता से बड़ा जोखिम टल गया।

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ISRO नवंबर में लॉन्च करेगा CMS-03 सैटेलाइट : भारत की संचार शक्ति को मिलेगा नया आसमानी सहारा

ISRO

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organisation) नवंबर 2025 में अपने अगले प्रमुख मिशन CMS-03 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारी में जुट गई है। यह मिशन भारत की सैटेलाइट कम्युनिकेशन नेटवर्क को और मजबूत करने के साथ-साथ देशभर में ब्रॉडकास्टिंग, टेलीकॉम, टेली-एजुकेशन और डिजास्टर मैनेजमेंट सेवाओं को नई गति देने वाला साबित होगा।

CMS-03 को सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा, और इसे GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह सैटेलाइट भारत के मौजूदा संचार उपग्रहों की क्षमता को बढ़ाएगा और देश के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में अहम भूमिका निभाएगा।

क्या है CMS-03 सैटेलाइट?

CMS-03 एक अत्याधुनिक संचार उपग्रह (Communication Satellite) है, जिसे Extended-C frequency band में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में दूरसंचार सेवाओं की क्षमता को बढ़ाना है।

ISRO

यह सैटेलाइट विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में मदद करेगा:

  • टीवी ब्रॉडकास्टिंग और नेटवर्क सेवाएं टेलीमेडिसिन और ई-हेल्थकेयर
  • टेली-एजुकेशन और ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स
  • आपदा प्रबंधन और राहत सेवाएं

CMS-03 की कवरेज न केवल भारतीय मुख्यभूमि बल्कि अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप तक फैली होगी, जिससे भारत के दूरस्थ इलाकों में भी मजबूत संचार नेटवर्क सुनिश्चित होगा।

लॉन्च प्रक्रिया और ऑर्बिट डिटेल्स

ISRO इस सैटेलाइट को पहले Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) में स्थापित करेगा। इसके बाद, मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (MCF), हासन के वैज्ञानिक जटिल ऑर्बिट रेज़िंग मैन्युवर्स के ज़रिए CMS-03 को लगभग 36,000 किलोमीटर ऊँचाई पर स्थित Geostationary Orbit में स्थापित करेंगे। GSLV रॉकेट, जो कई सफल मिशनों का हिस्सा रह चुका है, इस बार भी अपने भरोसेमंद प्रदर्शन से CMS-03 को अंतरिक्ष में सही स्थान तक पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाएगा।

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भारत की डिजिटल मजबूती की नई उड़ान

CMS-03 की सफलता भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण होगी। यह न केवल डिजिटल इंडिया मिशन को गति देगा, बल्कि भारत को स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन में आत्मनिर्भर बनाएगा। इसरो लगातार अपने संचार उपग्रहों को अपग्रेड कर रहा है ताकि देश को विदेशी तकनीक पर निर्भर न रहना पड़े। CMS-03 इस दिशा में एक और मजबूत कदम है, जो भारत को वैश्विक स्पेस इंडस्ट्री में अग्रणी बनाने की दिशा में आगे ले जाएगा।

ISRO का विजन

इसरो ने एक बार फिर यह साबित किया है कि उसका लक्ष्य केवल अंतरिक्ष अन्वेषण तक सीमित नहीं है, बल्कि वह राष्ट्र निर्माण और सामाजिक विकास के लिए भी अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। CMS-03 मिशन इस बात का प्रतीक है कि भारत न केवल अंतरिक्ष में उड़ान भर रहा है, बल्कि हर नागरिक तक तकनीकी सुविधा पहुँचाने के मिशन पर है।

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छठी के भोज में मौत का निवाला : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में जहरीला खाना खाने से 5 लोगों की मौत, दर्जनों बीमार

छठी के भोज

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के एक दूरस्थ गांव में श्राद्ध भोज (छठी के भोजन) के बाद हुई खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) की घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। इस दुखद हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें एक दो महीने का शिशु भी शामिल है, जबकि 20 से अधिक ग्रामीणों की हालत गंभीर बनी हुई है।

दुंगा गांव में ‘श्राद्ध भोज’ बना मातम का कारण

यह घटना अबूझमाड़ क्षेत्र के दुंगा गांव में हुई, जहां 14 अक्टूबर को एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद श्राद्ध भोज का आयोजन किया गया था। गांव के लोग पारंपरिक रूप से इस भोज में शामिल हुए और भोजन करने के कुछ ही घंटों बाद उल्टी, दस्त और पेट दर्द जैसी लक्षणों से पीड़ित हो गए। अगले एक सप्ताह के भीतर, पांच लोगों की मौत हो गई। मृतकों में एक दो महीने का बच्चा, बुधरी (25), बुधाराम (24), लक्के (45) और उर्मिला (25) शामिल हैं।

पहाड़ों और नदी पार कर पहुंची मेडिकल टीम

दुंगा गांव की स्थिति बेहद दुर्गम है — यहां न तो सड़क है, न नेटवर्क, जिसके कारण प्रशासन को जानकारी 21 अक्टूबर को ही मिल सकी। नारायणपुर कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगई ने तुरंत स्वास्थ्य विभाग की टीम को गांव भेजा। डॉक्टरों को इंद्रावती नदी नाव से पार कर गांव तक पहुंचना पड़ा। गांव पहुंचने पर टीम ने पाया कि 20 से ज्यादा लोग उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं और दो लोगों को मलेरिया भी है। एक 60 वर्षीय महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिसे स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है।

दूषित भोजन से फैला संक्रमण, जांच जारी

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) टी.आर. कुँवर ने बताया कि प्रारंभिक जांच में खाना दूषित होने की संभावना जताई गई है।खाद्य नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं ताकि सटीक कारण का पता लगाया जा सके। स्वास्थ्य विभाग की टीम फिलहाल गांव में घर-घर जाकर इलाज और जागरूकता अभियान चला रही है।

छठी के भोज

ग्रामीणों को दी गई चेतावनी और सावधानी के निर्देश

स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों से कहा है कि वे ताज़ा भोजन करें, उबला हुआ पानी पिएं, और भोजन को खुला न छोड़ें, ताकि संक्रमण और न फैले। स्थानीय प्रशासन ने गांव में अस्थायी स्वास्थ्य शिविर भी स्थापित किया है।

जनता में शोक और प्रशासन में हलचल

इस घटना ने पूरे नारायणपुर जिले में दुख और गुस्से की लहर पैदा कर दी है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों की पहचान होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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Pollution पर ‘Rain Bomb’ : Artificial Rain से दिल्ली में शुरू होगी सफाई की बारिश

Artificial Rain

हर साल की तरह इस बार भी दिवाली के बाद दिल्ली की हवा ज़हरीली हो चुकी है। आसमान पर छाई धुंध, सांस लेने में कठिनाई और AQI का ‘खतरनाक’ स्तर पार करना राजधानी के लिए सामान्य हो गया है। ऐसे में दिल्ली सरकार ने एक अनोखा कदम उठाया है—कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का। यह वही तकनीक है जो दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों—जैसे चीन, यूएई और अमेरिका—में प्रदूषण और सूखे से निपटने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

कृत्रिम वर्षा क्या होती है और कैसे होती है बारिश की ‘इंजीनियरिंग’?

कृत्रिम वर्षा या Cloud Seeding एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें हवाई जहाज या विशेष ड्रोन की मदद से बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायन छोड़े जाते हैं। ये कण बादलों में मौजूद जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे छोटे कण आपस में मिलकर बड़ी बूंदों में बदल जाते हैं, और अंततः बारिश होती है। इस प्रक्रिया को एक तरह की “मानव-निर्मित बारिश” कहा जा सकता है, जिसका इस्तेमाल अक्सर सूखा, प्रदूषण या फसल संकट की स्थिति में किया जाता है।

दिल्ली का प्रयोग: विज्ञान और उम्मीद का संगम

दिल्ली सरकार ने IIT Kanpur और मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर देश का सबसे बड़ा क्लाउड सीडिंग अभियान शुरू करने का फैसला किया है। यह प्रयोग अक्टूबर 2025 के अंतिम सप्ताह में होने जा रहा है, जब मौसम विभाग ने बादलों की पर्याप्त उपस्थिति की संभावना जताई है। योजना के तहत विशेष विमान दिल्ली के ऊपर उड़ान भरेंगे और जब बादल नमी से भर जाएंगे, तब उनमें सीडिंग फ्लेयर्स छोड़े जाएंगे। इसके बाद कुछ ही घंटों में बारिश होने की उम्मीद रहेगी, जो हवा में फैले जहरीले कणों को नीचे गिरा देगी।

Artificial Rain

क्यों जरूरी बना यह कदम?

दिवाली के बाद पराली के धुएं, पटाखों और ट्रैफिक के उत्सर्जन से दिल्ली की हवा में घातक स्तर का स्मॉग बन जाता है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और बच्चे-बुजुर्ग सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे में सरकार के पास तुरंत राहत देने का कोई और तरीका नहीं बचता। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कृत्रिम वर्षा सफल रहती है तो इससे PM 2.5 और PM 10 जैसे खतरनाक कणों की मात्रा 40-50% तक घट सकती है।

वैज्ञानिकों की राय और सामने आने वाली चुनौतियाँ

हालांकि यह कदम सराहनीय है, लेकिन वैज्ञानिक इसे स्थायी समाधान नहीं मानते। उनका कहना है कि क्लाउड सीडिंग तभी सफल होती है जब बादलों में पर्याप्त नमी हो—अन्यथा यह तकनीक बेअसर साबित होती है। इसके अलावा, रसायनों के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर भी सवाल हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रयोग के बाद बारिश के पानी की वैज्ञानिक जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इससे पीने के पानी या मिट्टी पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

दिल्ली सरकार की तैयारी और लोगों के लिए एडवाइजरी

सरकार ने मौसम विभाग, IIT Kanpur और नागरिक संस्थाओं के साथ मिलकर समन्वय तंत्र तैयार किया है। यदि बारिश होती है, तो ट्रैफिक, बिजली और जल निकासी की विशेष व्यवस्थाएँ सक्रिय की जाएँगी। स्कूलों, अस्पतालों और आम नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है—विशेषकर खुले पानी के संपर्क और अचानक मौसम बदलने के मामलों में।

उम्मीद की बारिश या अस्थायी राहत?

29 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में होने वाली यह कृत्रिम वर्षा सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों की “सांस की जंग” में नई उम्मीद है। यह कदम निश्चित रूप से तात्कालिक राहत दे सकता है, लेकिन प्रदूषण की असली लड़ाई तब जीती जाएगी जब वाहन उत्सर्जन, पराली जलाने और औद्योगिक धुएं जैसे मूल कारणों पर नियंत्रण होगा।

अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो यह भारत के पर्यावरण इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा—जहाँ विज्ञान, प्रशासन और समाज मिलकर साफ हवा के सपने को साकार करने की दिशा में बढ़ेंगे।

क्या आप सोचते हैं कि Artificial Rain सचमुच दिल्ली की हवा को बदल पाएगी?

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Chhath Puja 2025 – Tradition vs Modernity, कैसे बदल रहा है सूर्य उपासना का ये महापर्व

Chhath Puja

Chhath Puja मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है, और अब मेट्रो-शहरों व विदेश में बसे भारतीय समुदायों द्वारा भी उत्साह से मनाया जा रहा है। इस बार छठ पूजा 2025 में 25 अक्टूबर (शनिवार) से 28 अक्टूबर (मंगलवार) तक चार दिवसीय कार्यक्रम के रूप में होगा।

चार दिनों की कथा: परंपरा, अनुशासन और भक्तिपूर्वक तपस्या

पहला दिन – नहाय-खाय (Saturday, 25 Oct): व्रती सुबह जलाशय में स्नान कर पवित्र शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं और सात्विक जीवन की ओर कदम बढ़ाते हैं।

दूसरा दिन – खरना (Sunday, 26 Oct): दिनभर व्रत रखते हुए शाम को गुड़-चावल की खीर, रोटी व फल से व्रत खोलते हैं; इसके बाद निर्जला उपवास शुरू होता है।

तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (Monday, 27 Oct): घाटों पर संध्या सूर्य को जल तथा प्रसाद अर्पित किया जाता है—बांस की सूप-डाली में ठेकुआ, कच्चा गन्ना, नारियल रखकर।

चौथा दिन – उषा अर्घ्य और पारण (Tuesday, 28 Oct): उगते सवेरे सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है। परिवार-समाज के लिए मंगल और संतान-सुख की प्रार्थना के साथ पर्व समापन पाता है।

Chhath Puja

पूजा की धार्मिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक गरिमा

Chhath Puja मूर्तिपूजा नहीं—यह सूर्य (जीवन-स्रोत) और छठी मैया (प्राकृतिक ऊर्जा की देवी) की उपासना है। इस पर्व में न सिर्फ आस्था बल्कि पर्यावरण-सह-सम्बंध, स्वच्छता, सामूहिकता और सरलता का भाव प्रकट होता है। मिट्टी के दीये, बांस-सूप, जैविक प्रसाद जैसे पहलू इस पर्व को पर्यावरण-अनुकूल और समयोचित बनाते हैं।

घाटों पर लाखों व्रती एक साथ नदी-तट पर खड़े हो, सूर्य को अर्घ्य देते हैं—यह दृश्य लोक-कला, समाज-बंधन और प्रकृति-भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

सामाजिक असर और आधुनिक संदर्भ

Chhath Puja के दौरान जात-पांत, गरीबी-धनी भेद गौण हो जाते हैं; सभी एक-साथ घाट पर इकट्ठा होते हैं। यह नारी-शक्ति, परिवार-समाज की एकजुटता और प्रकृति-मानव सम्बन्ध की प्रतिमूर्ति बन जाता है।

साथ ही, पर्व के चलते रेल-विमान यात्राओं में कटौती-बढ़ोतरी, शहर-गाँव के बीच गतिशीलता और फेस्टिव सीजन में इसकी सामाजिक-आर्थिक भूमिका बढ़ जाती है।

छठ पूजा सिर्फ परंपरा नहीं, प्रतीक है जीवन-संघ का

Chhath Puja कठोर व्रत, शुद्धता, आस्था, पर्यावरणीय चेतना और भारतीय संस्कृति की गहराई का महापर्व है। यह केवल सूर्य को अर्घ्य देने का उत्सव नहीं — बल्कि मानव-प्रकृति-समाज की त्रिवेणी है।

25–28 अक्टूबर 2025 में जब घाटों पर दीए जलेंगे, गीत गूंजेंगे और सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा — बस उस पवित्र क्षण में हर भक्त, हर परिवार, सम्पूर्ण समाज उज्ज्वल-भविष्य का संकल्प लेगा।

क्या आप इस वर्ष छठ पूजा घाट पर जायेंगे? किस-किस राज्य से हैं आप?आपके राज्य में छठ पूजा मनायी जाती है या नहीं नीचे कमेंट में जरूर बताएं!

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कर्नूल बस हादसा : हैदराबाद-बेंगलुरु हाइवे पर लगी भीषण आग में 20 से ज्यादा यात्रियों की मौत, देखें पूरी रिपोर्ट

कर्नूल

आंध्र प्रदेश के कर्नूल ज़िले में शुक्रवार (24 अक्टूबर 2025) की तड़के एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा हुआ। हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही एक निजी वोल्वो बस में भीषण आग लगने से कम से कम 20 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा चिन्नाटेकुर गांव (कल्लूर मंडल) के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-44 (NH-44) पर हुआ, जिससे आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई।

कैसे हुआ हादसा

प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस के मुताबिक, V Kaveri Travels की यह प्राइवेट स्लीपर बस करीब 41 यात्रियों को लेकर बेंगलुरु जा रही थी। रात करीब 3:00 से 3:30 बजे के बीच तेज बारिश के दौरान बस ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिससे उसका फ्यूल टैंक फट गया और अचानक आग भड़क उठी।

कुछ ही सेकंड में पूरी बस आग की लपटों में घिर गई। उस वक्त ज्यादातर यात्री गहरी नींद में थे, इसलिए कई लोगों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। हादसे में बाइक सवार की भी मौके पर मौत हो गई।

कर्नूल

बचने वालों ने बताई भयावह कहानी

जिन यात्रियों ने किसी तरह अपनी जान बचाई, उन्होंने बताया कि आग इतनी तेज़ी से फैली कि मुख्य दरवाजा जाम हो गया और अंदर धुआं भर गया। कई यात्रियों ने आपातकालीन खिड़कियाँ तोड़कर किसी तरह बाहर छलांग लगाई। एक यात्री ने बताया, “मैं नींद से उठा तो चारों तरफ आग थी। हम लोगों ने पीछे की खिड़की तोड़ी और किसी तरह बाहर निकले।” लगभग 21 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन बाकी लोग लपटों में फँस गए।

राहत और बचाव कार्य

हादसे की जानकारी मिलते ही फायर ब्रिगेड, पुलिस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुँचीं। लेकिन तब तक बस पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी थी। कर्नूल कलेक्टर डॉ. ए. सिरी और एसपी ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। प्रशासन ने बताया कि अब तक 11 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि अन्य की पहचान डीएनए जांच के ज़रिए की जाएगी।

सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता राशि देने की घोषणा की। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर दुख व्यक्त किया और अधिकारियों को तुरंत राहत कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं और पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

कर्नूल

कंट्रोल रूम स्थापित

पीड़ितों के परिवारों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। रेस्क्यू टीम लगातार मौके पर काम कर रही है और मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है।

जांच जारी

पुलिस ने बताया कि हादसे की विस्तृत जांच जारी है। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, टक्कर के बाद बस में लगी आग ने इतनी तेज़ी से फैलाव किया कि यात्रियों को बचने का मौका नहीं मिला। साथ ही, बस के इमरजेंसी एग्जिट सिस्टम की विफलता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

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सूरज की रौशनी से दौड़ेगी भारत की रेल – ‘सोलर क्रांति’ के साथ भारत कर रहा है हरित भविष्य की ओर तेज़ सफर

सोलर

भारत ने पर्यावरण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW), वाराणसी में देश का पहला ऐसा पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, जिसमें रेलवे ट्रैक के बीच सोलर पैनल लगाए गए हैं। इस अनोखी पहल ने न केवल रेलवे के ग्रीन मिशन को नई गति दी है, बल्कि यह दिखाया है कि कैसे सीमित संसाधनों का उपयोग करते हुए स्थायी ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

कैसे तैयार हुआ यह सोलर ट्रैक सिस्टम

BLW के प्रांगण में करीब 70 मीटर लंबे ट्रैक हिस्से पर कुल 28 सोलर मॉड्यूल लगाए गए हैं। इन पैनलों की कुल क्षमता 15 किलोवाट पीक (kWp) है। अधिकारियों के मुताबिक, इस सिस्टम से सालभर में लगभग 3.21 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी। यह ऊर्जा BLW परिसर की जरूरतों को पूरा करेगी और बिजली खर्च को घटाने में मदद करेगी।

बिना ज़मीन अधिग्रहण के, ट्रैक से सीधे बिजली

इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए कोई अतिरिक्त ज़मीन नहीं ली गई। रेलवे की 1.2 लाख किलोमीटर लंबी पटरी नेटवर्क के बीच अक्सर खाली जगह रहती है।

सोलर

 

इसी का उपयोग करते हुए BLW ने यह नवाचार (Innovation) पेश किया — जहाँ ट्रेनों की आवाजाही और बिजली उत्पादन एक साथ संभव हुआ। यह “Dual-Use Infrastructure” का शानदार उदाहरण बन गया है।

तकनीकी चुनौतियाँ और उनका समाधान

ट्रेन के लगातार गुजरने से ट्रैक में कंपन और धूल का स्तर अधिक रहता है। इन चुनौतियों को देखते हुए इंजीनियरों ने सोलर पैनल्स को रबर माउंटिंग पैड्स और इपॉक्सी एडहेसिव की मदद से लगाया है।

यह डिज़ाइन रिमूवेबल सोलर सिस्टम कहलाता है — यानी जरूरत पड़ने पर पैनल्स को आसानी से हटाकर ट्रैक की मरम्मत की जा सकती है और फिर दोबारा जोड़ा जा सकता है।

पैनल्स की दक्षता और उपयोगिता

प्रत्येक सोलर मॉड्यूल का वजन लगभग 31.8 किलोग्राम है और इनकी औसत दक्षता 21% तक है। यह सिस्टम धूल-रोधी, वॉटरप्रूफ और मौसम-प्रतिरोधी है, जिससे ट्रैक की स्थिति या ट्रेन मूवमेंट पर कोई असर नहीं पड़ता। इससे उत्पादन भी स्थिर और सुरक्षित रहता है।

ग्रीन एनर्जी मिशन की दिशा में बड़ा कदम

रेलवे का यह पायलट प्रोजेक्ट केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि एक सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन मॉडल का प्रतीक है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो इसे देशभर के प्रमुख स्टेशनों और रूट्स पर लागू किया जाएगा। इससे भारतीय रेलवे का नेट-ज़ीरो कार्बन एमिशन लक्ष्य तेजी से हासिल किया जा सकेगा।

भविष्य की झलक: ट्रैक जो रोशनी भी देगा

सोचिए, आने वाले समय में जब ट्रेनें दौड़ेंगी, तो वही पटरियां देश को ऊर्जा भी देंगी। यह विचार सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि भारत की हरित विकास यात्रा का प्रतीक है — जहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और पर्यावरण, तीनों साथ कदम मिला रहे हैं।

रोशनी की पटरियों पर दौड़ता भारत

रेलवे के इस प्रयोग ने साबित कर दिया है कि नवाचार केवल मशीनों में नहीं, सोच में होता है। अब भारत के ट्रैक पर केवल लोहे की नहीं, सौर ऊर्जा की चमकती किरणें भी दौड़ेंगी। यह पहल आने वाले दशक में रेलवे को आत्मनिर्भर, स्वच्छ और तकनीकी रूप से अग्रणी बना सकती है।

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कानपुर में हड़कंप : बिहार जा रही फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन पर पथराव, यात्रियों में मचा अफरा-तफरी

कानपुर

त्योहारों के मौसम में घर लौट रहे लोगों के लिए एक डराने वाली खबर सामने आई है। कानपुर में अज्ञात लोगों ने अहमदाबाद से दरभंगा जा रही फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन पर अचानक पथराव कर दिया, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई। यह घटना शनिवार रात भीमसेन स्टेशन के आउटर सिग्नल के पास हुई।

कैसे हुई घटना

जानकारी के मुताबिक, अहमदाबाद-दरभंगा क्लोन हमसफर एक्सप्रेस (09465) उस समय भीमसेन स्टेशन के आउटर सिग्नल पर खड़ी थी, जब कुछ अज्ञात लोगों ने ट्रेन पर जोरदार पथराव शुरू कर दिया।इस पथराव में लोको पायलट के पास वाली खिड़की का शीशा टूट गया, जबकि कई बोगियों की खिड़कियों पर भी निशान पड़े। अचानक हुए हमले से ट्रेन में सवार सैकड़ों यात्री सहम गए।

ट्रेन में परिवारों के साथ यात्रा कर रहे कई यात्री बच्चों को लेकर सीटों के नीचे छिप गए। कुछ यात्रियों ने अपनी खिड़कियां बंद कर लीं और मदद के लिए चिल्लाने लगे।

ड्राइवर की सूझबूझ से टली बड़ी घटना

हमले के बाद ट्रेन के ड्राइवर ने तुरंत रेलवे कंट्रोल रूम को सूचना दी।सूचना मिलते ही रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और जीआरपी (GRP) की टीमें मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक पथराव करने वाले लोग फरार हो चुके थे। बाद में ट्रेन को कानपुर सेंट्रल स्टेशन लाया गया, जहां सुरक्षा अधिकारियों ने पूरी स्थिति की जांच की।

कानपुर

एफआईआर दर्ज, जांच शुरू

इस घटना पर भीमसेन स्टेशन मास्टर की शिकायत के आधार पर आधा दर्जन अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। RPF और GRP की टीमें सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही हैं ताकि आरोपियों की पहचान की जा सके। पुलिस का कहना है कि जल्द ही अपराधियों को पकड़ा जाएगा।

त्योहारों की भीड़ में सुरक्षा पर उठे सवाल

यह ट्रेन हर साल दिवाली और छठ पूजा के मौके पर चलाई जाती है, ताकि गुजरात और महाराष्ट्र में काम करने वाले लोग बिहार-झारखंड वापस जा सकें।इन दिनों ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ है — कई यात्रियों को खड़े होकर सफर करना पड़ रहा है। ऐसे में इस पथराव की घटना ने रेल सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

रेलवे प्रशासन ने कहा है कि – “त्योहारी सीजन में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जा रहे हैं। यात्रियों से अपील है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत जानकारी रेलवे हेल्पलाइन को दें।”

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

कानपुर में यह पहली बार नहीं है जब ट्रेन पर पथराव हुआ हो। इससे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस पर भी पथराव की घटनाएं हो चुकी हैं। रेलवे सूत्रों के अनुसार, कई बार ऐसे पथराव रेलवे ट्रैक किनारे बसे इलाकों से किए जाते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए RPF अब “रेल सुरक्षा सिपाही” पहल के तहत ग्रामीणों को ट्रेन सुरक्षा से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है।

यात्रियों की मांग – “सुरक्षा बढ़ाओ, डर में सफर नहीं करना चाहते”

घटना के बाद कानपुर सेंट्रल पर पहुंचे यात्रियों ने बताया कि वे अब डर में सफर कर रहे हैं। एक यात्री ने कहा – “हम साल में एक बार घर जाते हैं, वो भी डर में। रेलवे को अब सुरक्षा बढ़ानी ही होगी।”

त्योहारी भीड़ के बीच इस तरह की घटनाएं न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं बल्कि रेलवे प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती हैं। उम्मीद है कि जल्द ही आरोपियों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा दी जाएगी ताकि भविष्य में कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत न करे।

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Bank Holiday Alert : क्या सोमवार को बैंक बंद है या छुटियाँ कैंसिल ?

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इस वर्ष की दिवाली (Festival of Lights) 20 अक्टूबर 2025 सोमवार को पड़ रही है, लेकिन भारत के विभिन्न राज्यों में बैंक शाखाओं के खुलने-बंद होने को लेकर भारी असमंजस है। अनेक राज्यों में बैंक 20 अक्टूबर को बंद, जबकि दूसरे राज्यों में 21 या 22 अक्टूबर को ही बैंक शाखाएँ बंद होंगी।

वजह: क्यों अलग-अलग राज्यों में छुट्टियाँ?

बैंक छुट्टियों का निर्धारण Reserve Bank of India (RBI) के अंतर्गत “Negotiable Instruments Act” के अनुरूप होता है, जिसमें प्रत्येक राज्य की स्थानीय पर्व-परंपरा को ध्यान में रखते हुए छुट्टियों की सूची बनती है।  इस कारण एक ही दिवाली पर विभिन्न राज्यों में बैंक बंद-खुलने की तारीखें अलग-अलग बन जाती हैं।

कहाँ बैंक सोमवार को बंद – कहाँ खुले रहेंगे?

रिपोर्ट की गई है कि दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, असम, पश्चिम बंगाल जैसे लगभग 21 राज्यों में 20 अक्टूबर (सोमवार) को बैंक बंद रहेंगे।वहीं कुछ राज्यों-शहरों में बैंक 21 या 22 अक्टूबर को बंद रहेंगे क्योंकि वहाँ दिवाली या सम्बंधित पर्व दूसरे दिन मनाया जा रहा है।

बैंक

क्या डिजिटल बैंकिंग सेवा प्रभावित होगी?

भले ही शाखाएँ बंद हों, डिजिटल बैंकिंग, नेट-बैंकिंग, UPI और एटीएम सेवाएँ अधिकांश राज्यों में चालू रहने की संभावना है।  इसका अर्थ यह हुआ कि बैंक जाकर लेन-देने की बजाय पहले से तैयारी करना बेहतर रहेगा — खासकर चेक क्लियरेंस, बड़ी ट्रांजैक्शन या दस्तावेज संबंधी काम के लिए।

क्या करें ग्राहकों को?

  • अगर किसी महत्वपूर्ण बैंकिंग काम (जैसे चेक क्लियरेंस, कैश ट्रांजैक्शन, दस्तावेज जमा) की ज़रूरत है, तो शाखा खुलने वाले दिन से पहले उसे पूरा कर लें।
  • अपनी राज्य-वार बैंक छुट्टी सूची RBI या सम्बंधित बैंक की वेबसाइट पर चेक करें।
  • छुट्टी वाले दिन ऑनलाइन बैंकिंग या मोबाइल ऐप का उपयोग करना सुनिश्चित करें ताकि लेन-देह में परेशानी न आए।

दिवाली-पर्यन्त बैंक छुट्टियाँ सिर्फ जगह-जगह शाखा बंद होने की जानकारी नहीं, बल्कि बैंकिंग व्यवहार-योजना का पूर्व-निर्धारण भी मांगती हैं। जहाँ 20 अक्टूबर को अधिकांश राज्यों में बैंक बंद रहेंगे, वहीं कुछ जगहों पर यह छुट्टी 21 या 22 अक्टूबर तक चलेगी। इसलिए इस त्योहार पर बैंकिंग काम सोच-समझ कर करें — ताकि उत्सव के बीच बैंकिंग सेवाओं की कमी से परेशानी न हो।

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2025 की दिवाली क्यों है खास : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि का महत्व और इस बार के खास योग

दिवाली

रोशनी का महापर्व, दीपावली, 2025 में एक विशेष तिथि पर पड़ रहा है, जिसने इसे ज्योतिषीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से खास बना दिया है। इस साल दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। पंचांग की गणना के अनुसार, इस दिन बन रहे शुभ योग और पूजन के लिए प्रदोष काल व्यापिनी अमावस्या का होना इसे अत्यंत पुण्यकारी बना रहा है।

तिथि को लेकर संशय दूर: 20 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजा

हर साल की तरह 2025 में भी कार्तिक अमावस्या की तिथि को लेकर थोड़ा संशय था, क्योंकि अमावस्या तिथि दो दिन स्पर्श कर रही है।

  •  अमावस्या तिथि का आरंभ: 20 अक्टूबर 2025, दोपहर लगभग 03:44 बजे।
  •  अमावस्या तिथि का समापन: 21 अक्टूबर 2025, शाम लगभग 05:54 बजे।

चूंकि लक्ष्मी पूजन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाता है और 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में व्याप्त रहेगी, इसलिए ज्योतिषविदों ने सर्वसम्मति से 20 अक्टूबर (सोमवार) को ही दिवाली मनाना और लक्ष्मी-गणेश का पूजन करना शास्त्र सम्मत माना है। 21 अक्टूबर को अमावस्या का स्नान और दान किया जाएगा।

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लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार की दिवाली स्थिर लग्न और शुभ चौघड़िया के साथ आ रही है, जो धन-धान्य और समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी है।

  •  लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त: 20 अक्टूबर, शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक। (अवधि: लगभग 1 घंटा 10 मिनट)
  •  प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक।
  •  वृष लग्न (स्थिर लग्न): कई पंचांगों के अनुसार लक्ष्मी पूजा का यह समय वृष स्थिर लग्न के साथ भी ओवरलैप करेगा, जो माँ लक्ष्मी की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

पांच दिवसीय दीपोत्सव का कैलेंडर

इस साल 2025 का दीपोत्सव (Diwali) पूरे 5 दिनों तक चलेगा :

  •   धनतेरस (धन त्रयोदशी): 18 अक्टूबर (शनिवार)
  •   नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली/काली चौदस): 20 अक्टूबर (सोमवार) – इस दिन सुबह नरक चतुर्दशी और शाम को लक्ष्मी पूजा होगी।
  •   दीपावली (लक्ष्मी पूजा): 20 अक्टूबर (सोमवार)
  •   गोवर्धन पूजा / अन्नकूट: 22 अक्टूबर (बुधवार)
  •   भाई दूज (यमा द्वितीया): 23 अक्टूबर (गुरुवार)

2025 की यह दिवाली तिथि और शुभ मुहूर्त के सही तालमेल के कारण विशेष है, जब भक्तगण मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर जीवन में सुख, समृद्धि और प्रकाश का आह्वान करेंगे।

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