भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों का रिकॉर्ड विस्तार : 2.87 लाख करोड़ रुपये के बजट के साथ निर्माण में तेजी

भारत ने पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और विस्तार में अभूतपूर्व प्रगति की है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, 2014 में देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 91,287 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 1,46,204 किलोमीटर हो गई है। इस दौरान 830 से अधिक प्रमुख परियोजनाओं को पूरा किया गया और औसतन निर्माण की गति 35 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई। इस उपलब्धि ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क संचालक देश बना दिया है।

हाल की चुनौतियाँ और धीमी गति

हालांकि, हाल के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में निर्माण की गति 29 किलोमीटर प्रतिदिन रह गई, जो पिछले वर्ष 34 किलोमीटर प्रतिदिन से कम है। इस दौरान कुल 10,660 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ। निर्माण की इस धीमी गति के पीछे मौसम की अनिश्चितताएँ, भूमि अधिग्रहण की जटिलताएं और परियोजना निष्पादन में चुनौतियाँ मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

राष्ट्रीय राजमार्गों

बजट और निवेश

वित्त वर्ष 2025-26 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए कुल ₹2.87 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के लिए ₹1.87 लाख करोड़ शामिल हैं। यह बजट पिछले वर्ष की तुलना में 2.41 प्रतिशत अधिक है और इसके जरिए सरकार ने सड़क नेटवर्क के विकास, रखरखाव और नई परियोजनाओं के क्रियान्वयन को प्राथमिकता देने का स्पष्ट संदेश दिया है।

भविष्य की रणनीति और लक्ष्य

सरकार ने 2030 तक राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति को 100 किलोमीटर प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में आधुनिक मशीनरी, डिजिटल निगरानी और तकनीकी नवाचारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा धीमी गति के बावजूद दीर्घकालिक रणनीति और वित्तीय समर्थन भारत को विश्व स्तर पर सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे में अग्रणी बना सकती है।

CareEdge रेटिंग्स के अनुसार, 2025-26 में निर्माण की गति 27-29 किलोमीटर प्रतिदिन रह सकती है। निर्माण गतिविधियों में इस संभावित गिरावट के बावजूद, लंबी अवधि में निवेश और तकनीकी उपाय सड़क विकास को मजबूत बनाएंगे।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विस्तार ने न केवल आर्थिक गतिविधियों को तेज किया है, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बेहतर सड़क नेटवर्क से परिवहन लागत घट रही है, माल और सेवाओं की आपूर्ति समय पर हो रही है, और व्यापार व उद्योगों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। ईस्ट-वेस्ट और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के निर्माण ने देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर आर्थिक गति को और बढ़ावा दिया है।

राष्ट्रीय राजमार्गों

सड़क परियोजनाओं में सुरक्षा और टिकाऊपन पर भी ध्यान दिया गया है। आधुनिक संकेतक, फाटक, पुल और टोल प्लाजा न केवल यात्रा को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि निर्माण की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करते हैं। ठोस और टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल, डिजिटल निगरानी और जीपीएस आधारित ट्रैकिंग से निर्माण प्रक्रिया की निगरानी आसान और पारदर्शी बनी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की इस उपलब्धि की सराहना की गई है। दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क और तेजी से बढ़ती राष्ट्रीय राजमार्ग लंबाई ने भारत को वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास में अग्रणी बनाने में मदद की है।

निष्कर्ष

पिछले एक दशक में भारत ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और विस्तार में रिकॉर्ड प्रगति की है। ₹2.87 लाख करोड़ के बजट के साथ, सरकार ने सड़क निर्माण की गति बढ़ाने, नेटवर्क को मजबूत बनाने और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों को जोड़ने का स्पष्ट संदेश दिया है। चुनौतियां अभी भी हैं, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण और वित्तीय समर्थन के कारण यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में और तेजी से विकसित होने की संभावना रखता है।

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