टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली ब्रिटिश लक्ज़री कार निर्माता Jaguar Land Rover (JLR) ने एक बड़े साइबर हमले से जूझने के बाद अपने सभी कारखानों में उत्पादन फिर से शुरू कर दिया है। इस हमले के चलते कंपनी को लगभग छह हफ्तों तक उत्पादन बंद रखना पड़ा, जिससे वैश्विक स्तर पर बिक्री और सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई।
कैसे हुआ हमला
सूत्रों के मुताबिक, 31 अगस्त 2025 को कंपनी के आईटी सिस्टम पर एक बड़े पैमाने पर साइबर अटैक हुआ, जिससे उसके उत्पादन प्रबंधन और आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क पूरी तरह ठप हो गए। यह हमला इतना गंभीर था कि कंपनी को अपने सभी यूके और यूरोपीय संयंत्रों में उत्पादन रोकना पड़ा।
हालांकि, जांच में पाया गया कि यह हमला किसी अत्याधुनिक मालवेयर से नहीं, बल्कि फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग के जरिए कर्मचारियों की लॉगिन जानकारी चुराकर किया गया था। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले के पीछे “Scattered Lapsus$ Hunters” नामक ग्रुप हो सकता है |

उत्पादन की वापसी
लगभग एक महीने से ज्यादा समय तक बंद रहने के बाद JLR ने अक्टूबर के पहले सप्ताह से चरणबद्ध तरीके से उत्पादन बहाल करना शुरू किया। सबसे पहले वॉल्वरहैम्प्टन इंजन प्लांट और हैम्स हॉल बैटरी असेंबली सेंटर में काम शुरू किया गया। इसके बाद सोलिहुल और स्लोवाकिया के निट्रा प्लांट में भी गाड़ियां बननी शुरू हुईं। अब कंपनी का हेलवुड प्लांट (जहां Range Rover Evoque और Land Rover Discovery Sport बनती हैं) भी पूरी तरह चालू हो गया है। कंपनी ने कहा है कि यह पुनःआरंभ “Controlled Restart” के रूप में किया जा रहा है — यानी आईटी सिस्टम की सुरक्षा जांच के बाद ही हर चरण को खोला जा रहा है।
बिक्री और नुकसान
साइबर हमले के असर के कारण JLR की खुदरा बिक्री (Retail) में लगभग 17% और थोक बिक्री (Wholesale) में 24% की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, अनुमान के अनुसार कंपनी को हर हफ्ते करीब £50 मिलियन (लगभग ₹520 करोड़) का नुकसान हुआ। कुल नुकसान का आंकड़ा $1.5 बिलियन (₹12,000 करोड़ से अधिक) तक पहुंच सकता है।
इन झटकों से उबरने के लिए ब्रिटेन सरकार ने JLR को £1.5 बिलियन के लोन गारंटी पैकेज की पेशकश की है ताकि कंपनी और उसकी सप्लाई चेन पार्टनर वित्तीय रूप से स्थिर रह सकें।
सप्लायर्स और ग्राहकों पर असर
हमले का सबसे बड़ा असर कंपनी के सप्लायर्स पर पड़ा। उत्पादन ठप होने से कई छोटे और मझोले आपूर्तिकर्ताओं को अस्थायी रूप से कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी। JLR ने इन पार्टनर्स की मदद के लिए एक नया फंडिंग प्रोग्राम शुरू किया है, जिसके तहत सप्लायर्स को पहले से भुगतान कर नकदी संकट से राहत दी जाएगी। वहीं, कई ग्राहकों की गाड़ियों की डिलीवरी में देरी हुई और कुछ मामलों में डेटा लीक की आशंका भी जताई गई है।

ऑटो उद्योग के लिए चेतावनी
यह घटना केवल JLR के लिए नहीं, बल्कि पूरे ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए चेतावनी है। जैसे-जैसे गाड़ियां अधिक “कनेक्टेड” और फैक्ट्रियां अधिक “डिजिटल” होती जा रही हैं, वैसे-वैसे साइबर हमलों का खतरा बढ़ता जा रहा है। अब तक कंपनियां लागत और दक्षता पर ध्यान देती थीं, लेकिन यह घटना दिखाती है कि “साइबर रेज़िलिएंस” (डिजिटल सुरक्षा की मजबूती) भी उतनी ही जरूरी है।
आगे की चुनौती
JLR का कहना है कि वह पूरी तरह सामान्य स्थिति में लौटने से पहले अपने सिस्टम्स, डेटा सुरक्षा और सप्लाई चैन की व्यापक समीक्षा करेगी। कंपनी फिलहाल सभी आईटी नेटवर्क की मॉनिटरिंग बढ़ा रही है ताकि भविष्य में ऐसा हमला दोबारा न हो। जगुआर लैंड रोवर का यह साइबर हमला ऑटोमोबाइल इतिहास की सबसे बड़ी डिजिटल घटनाओं में से एक बन गया है।
यह साबित करता है कि अब ऑटो इंडस्ट्री सिर्फ मशीन और मैनपावर पर नहीं, बल्कि साइबर सुरक्षा पर भी निर्भर है। आने वाले वर्षों में कंपनियों को सिर्फ कार बनानी नहीं होगी, बल्कि अपने डिजिटल फोर्ट्रेस (Digital Fortress) को भी मजबूत बनाना होगा।
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