अजय नदी के किनारे मिलने वाला द्वितीय विश्व युद्ध का पुराना मोर्टार शेल एक महीने की सुरक्षा के बाद भारतीय सेना की बम निरोधक टीम ने बुधवार को नियंत्रित विस्फोट कर निष्क्रिय कर दिया। रेत निकालते समय ग्रामीणों को मिली जंग लगी गोलक मिलने पर पुलिस को सूचना दी गई; तब से क्षेत्र को घेरकर सुरक्षा में रखा गया था।
पानागढ़ की विशेषज्ञ टीम ने मौके पर आकर पहले बम के चारों ओर सुरक्षा उपाय किए — नदी तल में गड्ढा खोदा और रेत के बोरे लगाकर विस्फोट का असर कम किया गया। नियंत्रित विस्फोट के समय आस-पास के लोग दहशत में आए, कुछ दूर के घरों की खिड़कियाँ हिलीं, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। केवल पास की खेती में मामूली नुकसान और एक बड़ा गड्ढा देखने को मिला।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बम ब्रिटिश काल के सैन्य अभ्यास का अवशेष था जो वर्षों में बाढ़ के पानी से बहकर यहां आया होगा। ग्रामीणों ने राहत जताई और कहा कि अब उन्हें चैन मिला है। यह घटना याद दिलाती है कि इतिहास कई बार आज भी खतरनाक रूप में सामने आ सकता है — पर सुरक्षा बलों की तत्परता से बड़ा जोखिम टल गया।