पटना में छठ पूजा 2025 पर सुरक्षा अलर्ट : 6 घाटों को प्रशासन ने किया “खतरनाक” घोषित, जानिए किन घाटों पर नहीं करनी चाहिए पूजा

छठ पूजा

बिहार की राजधानी पटना में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा 2025 को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पटना जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। प्रशासन ने गंगा नदी के किनारे स्थित छह घाटों को खतरनाक और पूजा-अर्चना के लिए अनुपयुक्त घोषित किया है। इस संबंध में एक आधिकारिक एडवाइजरी भी जारी की गई है, जिसमें लोगों से अपील की गई है कि वे इन घाटों पर न जाएं और केवल सुरक्षित घाटों पर ही अर्घ्य दें।

ये हैं 6 खतरनाक घोषित घाट

प्रशासन द्वारा जिन घाटों को “खतरनाक (Dangerous)” बताया गया है, उनमें शामिल हैं:

  1. कंटाही घाट
  2. राजापुर पुल घाट
  3. पहलवान घाट
  4. बांस घाट
  5. बुद्धा घाट
  6. (एक अन्य घाट, जिसे निरीक्षण के बाद सूची में जोड़ा गया है)

छठ पूजा

इन घाटों पर तेज जल प्रवाह, दलदल, फिसलन और गहराई के कारण हादसे का खतरा बना रहता है। जिला प्रशासन ने कहा है कि इन स्थानों पर किसी भी प्रकार की पूजा गतिविधि या अर्घ्यदान करना जीवन के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

प्रशासन के सुरक्षा इंतज़ाम

जिलाधिकारी (DM) चंद्रशेखर सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) राजीव मिश्रा ने शहर के सभी घाटों का निरीक्षण किया है। सुरक्षा को लेकर कई सख्त कदम उठाए गए हैं —

 बैरिकेडिंग : खतरनाक घाटों को लाल कपड़े और लोहे की जालियों से घेरकर सील किया जाएगा ताकि कोई भी व्यक्ति गलती से भी वहां प्रवेश न कर सके।

सुरक्षा बलों की तैनाती : हर असुरक्षित घाट पर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात रहेंगे जो लोगों को वहां जाने से रोकेंगे।

वैकल्पिक घाटों की व्यवस्था: प्रशासन ने करीब 100 सुरक्षित घाटों पर विशेष तैयारियां की हैं। इन घाटों पर सफाई, प्रकाश व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण और पहुंच मार्ग को दुरुस्त किया जा रहा है। NDRF और SDRF की टीमें: किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें मुस्तैद रहेंगी।

छठ पूजा

छठ पूजा 2025 की तिथियां

इस वर्ष छठ पूजा 2025 का शुभ पर्व 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से आरंभ हुआ है और 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के अलावा पूरे देश में बड़ी आस्था और श्रद्धा से मनाया जाता है। लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य नदियों के घाटों पर पूजा करने पहुंचते हैं।

भक्तों से प्रशासन की अपील

पटना प्रशासन ने सभी व्रतियों और श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे केवल सुरक्षित और स्वीकृत घाटों पर ही पूजा करें।

जिलाधिकारी ने कहा — “हमारा उद्देश्य है कि हर व्रती और श्रद्धालु सुरक्षित रूप से छठ महापर्व संपन्न कर सके। इसलिए किसी भी असुरक्षित घाट की ओर न जाएं और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।”

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Chhath Puja 2025 – Tradition vs Modernity, कैसे बदल रहा है सूर्य उपासना का ये महापर्व

Chhath Puja

Chhath Puja मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है, और अब मेट्रो-शहरों व विदेश में बसे भारतीय समुदायों द्वारा भी उत्साह से मनाया जा रहा है। इस बार छठ पूजा 2025 में 25 अक्टूबर (शनिवार) से 28 अक्टूबर (मंगलवार) तक चार दिवसीय कार्यक्रम के रूप में होगा।

चार दिनों की कथा: परंपरा, अनुशासन और भक्तिपूर्वक तपस्या

पहला दिन – नहाय-खाय (Saturday, 25 Oct): व्रती सुबह जलाशय में स्नान कर पवित्र शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं और सात्विक जीवन की ओर कदम बढ़ाते हैं।

दूसरा दिन – खरना (Sunday, 26 Oct): दिनभर व्रत रखते हुए शाम को गुड़-चावल की खीर, रोटी व फल से व्रत खोलते हैं; इसके बाद निर्जला उपवास शुरू होता है।

तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (Monday, 27 Oct): घाटों पर संध्या सूर्य को जल तथा प्रसाद अर्पित किया जाता है—बांस की सूप-डाली में ठेकुआ, कच्चा गन्ना, नारियल रखकर।

चौथा दिन – उषा अर्घ्य और पारण (Tuesday, 28 Oct): उगते सवेरे सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है। परिवार-समाज के लिए मंगल और संतान-सुख की प्रार्थना के साथ पर्व समापन पाता है।

Chhath Puja

पूजा की धार्मिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक गरिमा

Chhath Puja मूर्तिपूजा नहीं—यह सूर्य (जीवन-स्रोत) और छठी मैया (प्राकृतिक ऊर्जा की देवी) की उपासना है। इस पर्व में न सिर्फ आस्था बल्कि पर्यावरण-सह-सम्बंध, स्वच्छता, सामूहिकता और सरलता का भाव प्रकट होता है। मिट्टी के दीये, बांस-सूप, जैविक प्रसाद जैसे पहलू इस पर्व को पर्यावरण-अनुकूल और समयोचित बनाते हैं।

घाटों पर लाखों व्रती एक साथ नदी-तट पर खड़े हो, सूर्य को अर्घ्य देते हैं—यह दृश्य लोक-कला, समाज-बंधन और प्रकृति-भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

सामाजिक असर और आधुनिक संदर्भ

Chhath Puja के दौरान जात-पांत, गरीबी-धनी भेद गौण हो जाते हैं; सभी एक-साथ घाट पर इकट्ठा होते हैं। यह नारी-शक्ति, परिवार-समाज की एकजुटता और प्रकृति-मानव सम्बन्ध की प्रतिमूर्ति बन जाता है।

साथ ही, पर्व के चलते रेल-विमान यात्राओं में कटौती-बढ़ोतरी, शहर-गाँव के बीच गतिशीलता और फेस्टिव सीजन में इसकी सामाजिक-आर्थिक भूमिका बढ़ जाती है।

छठ पूजा सिर्फ परंपरा नहीं, प्रतीक है जीवन-संघ का

Chhath Puja कठोर व्रत, शुद्धता, आस्था, पर्यावरणीय चेतना और भारतीय संस्कृति की गहराई का महापर्व है। यह केवल सूर्य को अर्घ्य देने का उत्सव नहीं — बल्कि मानव-प्रकृति-समाज की त्रिवेणी है।

25–28 अक्टूबर 2025 में जब घाटों पर दीए जलेंगे, गीत गूंजेंगे और सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा — बस उस पवित्र क्षण में हर भक्त, हर परिवार, सम्पूर्ण समाज उज्ज्वल-भविष्य का संकल्प लेगा।

क्या आप इस वर्ष छठ पूजा घाट पर जायेंगे? किस-किस राज्य से हैं आप?आपके राज्य में छठ पूजा मनायी जाती है या नहीं नीचे कमेंट में जरूर बताएं!

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