12 अक्टूबर 2025 को, भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला विश्व कप मुकाबले में स्मृति मंधाना ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी छलाँग लगाई। विशाखापत्तनम में 80 रन की शानदार पारी के साथ उन्होंने सिर्फ 112 पारियों में 5000 वनडे रन पूरे कर लिए — और इस क्रम में विराट कोहली के 114 पारियों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। यह उपलब्धि महिला क्रिकेट के लिए मात्र एक आंकड़ा नहीं, बल्कि बदलाव का प्रतीक बन गई है।
रिकॉर्ड्स का सफर:
मंधाना ने इस मैच तक अपने वनडे करियर में 13 शतक और 33 अर्धशतक दर्ज किए थे, औसत अंदाज़ से 47.37 के आसपास रहा था। खास बात यह है कि इस क्रम में वह महिला या पुरुष, किसी भी भारतीय बल्लेबाज़ से सबसे तेज़ (112 पारियाँ) 5000-रन क्लब में आईं।

साथ ही उन्होंने इस ही वर्ष में एक और इतिहास रचते हुए, एक कैलेंडर वर्ष के भीतर 1000 ODI रन का विश्व रिकॉर्ड भी स्थापित किया।
महिला क्रिकेट का नया युग
मंधाना का ये सफर सिर्फ व्यक्तिगत नहीं — यह पूरे महिला क्रिकेट की दिशा-दर्शक कहानी है। अब महिला क्रिकेट सिर्फ ‘साइडलाइन स्पोर्ट’ नहीं, बल्कि ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा करने वाला मुख्यधारा का हिस्सा बनती नजर आ रही है। देश ने अब देखा है कि मैदान में जांबाज़ी, आंकड़े और छाप महिला खिलाड़ियों में भी उतनी ही गहरी हो सकती है।
उन्होंने कहा: “यह रिकॉर्ड सिर्फ मेरा नहीं, हर उस लड़की का है जो मेहनत, जुनून और हौसले के साथ मैदान पर उतरती है।”
आगे क्या? लक्ष्य और आशाएँ
अब सवाल यह नहीं है कि मंधाना ने क्या किया — बल्कि यह है कि वो अब 6000, 7000 रन के अगले लक्ष्य की ओर कैसे बढ़ेंगी। भारत की महिला टीम के लिए यह समय है कि इस मोमेंटम को बनाए रखें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ और मज़बूत करें। क्रिकेट बिरादरी, फैंस और मीडिया ने मंधाना की इस कामयाबी को जोरदार सलामी दी है — क्योंकि यह सिर्फ एक बल्लेबाज़ का रिकॉर्ड नहीं, बल्कि भारतीय खेल संस्कृति में बदलाव का मील का पत्थर है।
स्मृति मंधाना ने 12 अक्टूबर 2025 को सिर्फ एक आंकड़ा पूरा नहीं किया — उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर महिला खिलाड़ियों की आवाज़ को और ऊँचा रखा। यह पल गर्व का है, प्रेरणा का है, और आने वाले समय की उम्मीद का है। हर बार जब रणजीवी पिच पर बल्ला खेले, मंधाना का ये सफर याद आएगा — “हार्ड वर्क + टैलेंट = हिस्ट्री।”