तमिलनाडु सरकार और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज कंपनी Foxconn के बीच ₹15,000 करोड़ के निवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जहाँ एक ओर राज्य सरकार दावा कर रही है कि यह ऐतिहासिक निवेश तमिलनाडु में लाखों नौकरियों के अवसर खोलेगा, वहीं Foxconn ने स्पष्ट किया है कि “कोई नया निवेश” चर्चा में नहीं आया था।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
यह विवाद 13 अक्टूबर को तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और उद्योग मंत्री टी.आर.बी. राजा़ ने घोषणा की कि Foxconn कंपनी राज्य में ₹15,000 करोड़ का नया निवेश करेगी। यह घोषणा उस बैठक के बाद की गई थी जिसमें Foxconn के नए भारत प्रतिनिधि रॉबर्ट वू (Robert Wu) ने हिस्सा लिया था। राजा़ ने इसे “तमिलनाडु के औद्योगिक इतिहास का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग रोजगार सृजन प्रोजेक्ट” बताया और कहा कि यह निवेश 1 लाख से अधिक इंजीनियरिंग नौकरियाँ पैदा करेगा।
Foxconn का जवाब — “नई डील नहीं हुई”
मुख्यमंत्री की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद Foxconn की ओर से एक बयान जारी हुआ जिसमें कंपनी ने कहा, “बैठक में किसी नए निवेश पर चर्चा नहीं हुई। यह हमारी पहले से चल रही परियोजनाओं की निरंतरता मात्र है।”

Foxconn के बयान से राज्य सरकार के दावे पर सवाल उठ खड़े हुए और सोशल मीडिया पर यह चर्चा छा गई कि क्या सरकार ने निवेश को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
राज्य सरकार का पलटवार — “एक साल से चल रही मेहनत अब रंग लाई”
तमिलनाडु सरकार ने तुरंत स्पष्टीकरण जारी किया। मंत्री राजा़ ने कहा कि यह “नया निवेश नहीं, बल्कि पहले से चल रही वार्ताओं का परिणाम है”, जिसे अब आधिकारिक रूप से सार्वजनिक किया गया है। उन्होंने कहा, “Foxconn इसे ‘नया निवेश’ नहीं कह सकती क्योंकि बातचीत एक साल से चल रही थी, लेकिन यह पहली बार है जब कंपनी ने आधिकारिक रूप से प्रतिबद्धता जताई है। यह तमिलनाडु के लिए एक ऐतिहासिक पल है।”
राजा़ ने यह भी कहा कि Foxconn की यह परियोजना राज्य की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नई दिशा देगी, और चेन्नई, होसूर तथा कांचीपुरम जैसे औद्योगिक इलाकों में नए संयंत्रों की संभावना को मजबूत करेगी।
Foxconn की भारत में भूमिका
Foxconn पहले से ही भारत में Apple iPhone असेंबली के लिए चेन्नई के पास स्रीपेरुंबुदुर (Sriperumbudur) में एक बड़ी यूनिट चला रही है। हाल के महीनों में कंपनी ने कर्नाटक और तेलंगाना में भी अपने निवेश बढ़ाए हैं।
तमिलनाडु सरकार का कहना है कि ₹15,000 करोड़ का यह निवेश कंपनी के सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट निर्माण के विस्तार से जुड़ा है। हालांकि Foxconn ने अब तक इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

निवेश पर राजनीति भी गरमाई
विपक्षी दल AIADMK और BJP ने राज्य सरकार पर “राजनीतिक लाभ के लिए निवेश आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने” का आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि Foxconn के साथ एमओयू (MoU) कब साइन हुआ और क्या इसके तहत कोई नई यूनिट स्थापित होने जा रही है या नहीं।
वहीं, उद्योग मंत्री राजा़ ने विपक्ष के आरोपों को “भ्रम फैलाने वाला” बताया और कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने निवेश प्रतिज्ञाओं पर पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के साथ कायम है।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह विवाद तकनीकी शब्दों का मामला है — जहाँ Foxconn इसे “नई प्रतिबद्धता” नहीं मान रही, वहीं सरकार “पुष्ट की गई निवेश योजनाओं” को सार्वजनिक रूप से घोषणा योग्य मान रही है। चेन्नई स्थित उद्योग विश्लेषक एस. राजगोपाल का कहना है, “सरकार और कंपनी दोनों सही हैं — Foxconn ने निवेश की योजना पहले बनाई थी, लेकिन अब यह औपचारिक रूप से तय हो गई है। यह निवेश तमिलनाडु को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स हब के रूप में और मजबूत करेगा।”
आगे क्या?
राज्य सरकार ने कहा है कि परियोजना के शुरुआती चरण की औपचारिक प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही (FY26 Q1) से शुरू होगी। इसके तहत निर्माण, मशीनरी इंस्टॉलेशन और स्थानीय सप्लाई चेन तैयार करने का काम एक साथ चलेगा। Foxconn और सरकार के बीच सहमति के दस्तावेजों को अंतिम रूप देने के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति गठित की जाएगी।
₹15,000 करोड़ के इस निवेश को लेकर जारी विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि भारत में बड़े औद्योगिक समझौते केवल कॉरपोरेट घोषणाओं से नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण और सार्वजनिक धारणा से भी प्रभावित होते हैं।भले ही Foxconn इसे “नया निवेश” न मान रही हो, लेकिन तमिलनाडु सरकार के लिए यह एक राजनीतिक और औद्योगिक जीत के रूप में देखा जा रहा है — जो आने वाले वर्षों में राज्य की आर्थिक दिशा तय कर सकती है।