करूर (तमिलनाडु), 27 सितंबर 2025 – दक्षिण भारत के सुपरस्टार और अब राजनीति में सक्रिय अभिनेता थलापति विजय की करूर में आयोजित चुनावी रैली शनिवार को दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गई। उनकी पार्टी तमिझगा वेत्री कड़गम (TVK) की इस रैली में भगदड़ मचने से कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों में 17 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं। यह त्रासदी न केवल राज्य की राजनीति को हिला गई है, बल्कि भीड़ प्रबंधन और प्रशासनिक लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
हादसे की वजहें : भीड़, बिजली गुल और अफरा-तफरी
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, आयोजन स्थल पर करीब 30,000 लोगों के आने का अनुमान था। लेकिन विजय की लोकप्रियता इतनी ज्यादा निकली कि 60,000 से अधिक लोग करूर पहुंच गए। मैदान में खड़े लोगों के लिए न तो पर्याप्त जगह थी, न ही कोई व्यवस्थित निकास मार्ग। विजय को दोपहर 12 बजे मंच पर पहुंचना था, लेकिन वे लगभग 7 घंटे देर से शाम 7 बजे आए। इस बीच, तेज धूप और लंबे इंतजार से भीड़ बेचैन हो चुकी थी। जैसे ही विजय का प्रचार वाहन मैदान में दाखिल हुआ, अचानक बिजली गुल हो गई और पूरे इलाके में अंधेरा छा गया। घबराहट में लोग धक्का-मुक्की करने लगे।
बेहतर नज़ारा पाने के लिए कुछ लोग पास के पेड़ पर चढ़ गए थे। अचानक शाखा टूट गई और वे नीचे खड़े लोगों पर गिर पड़े। इससे भगदड़ और तेज हो गई। विजय को देखते ही हज़ारों समर्थक उनकी एक झलक पाने के लिए बैरिकेड तोड़कर मंच की तरफ दौड़ पड़े। तभी पूरा नियंत्रण बिगड़ गया। कुछ ही मिनटों में मैदान चीख-पुकार से भर गया। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और दम घुटने से दर्जनों लोगों की जान चली गई।

विजय की प्रतिक्रिया : “यह मेरा व्यक्तिगत नुकसान है”
हादसे के दौरान विजय मंच पर मौजूद थे। उन्होंने पहले तो एम्बुलेंस के लिए रास्ता बनाने की अपील की, लेकिन जल्द ही जब उन्हें मौतों का अंदेशा हुआ तो उन्होंने कार्यक्रम रोक दिया। बाद में शोक जताते हुए उन्होंने कहा – “आज जो कुछ हुआ, उसने मेरा दिल तोड़ दिया है। मैं अपने प्रशंसकों को खो चुका हूँ, यह मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान है। हर प्रभावित परिवार के साथ मैं खड़ा हूँ।” विजय ने अपनी पार्टी की ओर से मृतकों के परिवारों को 20 लाख रुपये और घायलों को 5 लाख रुपये देने की घोषणा की।
सरकार की कार्रवाई और मुआवजा
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस हादसे को “अत्यंत दर्दनाक” बताते हुए न्यायिक जांच आयोग गठित करने की घोषणा की। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा –”यह केवल एक हादसा नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि भीड़ प्रबंधन में कितनी खामियां हैं। सरकार दोषियों को बख्शेगी नहीं।” पुलिस ने इस मामले में TVK के महासचिव एन. आनंद समेत आयोजकों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया है।
राष्ट्रीय नेताओं की संवेदनाएँ
इस हादसे ने पूरे देश को हिला दिया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – “तमिलनाडु की इस त्रासदी ने पूरे राष्ट्र को दुखी किया है। मेरी संवेदनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं।”
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा – “राजनीतिक रैली को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी नेताओं और प्रशासन की है। यह त्रासदी टाली जा सकती थी।”
- राज्यपाल आर.एन. रवि ने इसे “मानवीय आपदा” करार देते हुए पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी।

पीड़ित परिवारों का दर्द
रामलक्ष्मी नाम की एक महिला, जिनके भाई की इस हादसे में मौत हो गई, रोते हुए बोलीं – “हम तो बस विजय को देखने आए थे, लेकिन हमें उसका शव लेकर लौटना पड़ा। यह मौतें रोकी जा सकती थीं अगर इंतजाम पुख्ता होते।” वहीं घायल मुरुगन ने अस्पताल में कहा – “हम घंटों खड़े थे। अचानक लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मैं बच गया लेकिन मेरे साथ आए दो दोस्त अब नहीं रहे।”
राजनीतिक पृष्ठभूमि और असर
विजय ने इस साल अपनी पार्टी तमिझगा वेत्री कड़गम (TVK) लॉन्च की थी। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में वे बड़ा असर डाल सकते हैं। करूर की यह रैली उसी प्रचार अभियान का हिस्सा थी और इसे उनकी अब तक की सबसे बड़ी जनसभा माना जा रहा था। लेकिन इस त्रासदी ने विजय की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष पहले ही भीड़ प्रबंधन की लापरवाही का ठीकरा TVK पर फोड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हादसा विजय के चुनावी अभियान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
हादसे के बाद बढ़ी सुरक्षा
हादसे के बाद विजय के चेन्नई स्थित घर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने भविष्य की रैलियों के लिए भीड़ प्रबंधन को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। करूर की यह त्रासदी सिर्फ एक राजनीतिक रैली में हुआ हादसा नहीं है, बल्कि भीड़ प्रबंधन की गंभीर लापरवाही की मिसाल भी है। विजय की लोकप्रियता ने रैली को भले ही ऐतिहासिक बना दिया हो, लेकिन असंगठित तैयारी ने इसे मौत का मंजर बना दिया।
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