दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश कराने की बहुप्रतीक्षित कोशिश असफल हो गई है। IIT कानपुर के विशेषज्ञों के नेतृत्व में किया गया यह क्लाउड सीडिंग का पहला परीक्षण था, लेकिन मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण यह बारिश कराने में नाकाम रहा।
क्या है असफलता का कारण?
क्लाउड सीडING की सफलता पूरी तरह से मौसम की कुछ खास स्थितियों पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तकनीक के लिए आसमान में पर्याप्त मात्रा में नमी वाले घने बादलों का होना अनिवार्य है।
बादलों की कमी:
परीक्षण के समय दिल्ली के आसमान में ऐसे बादल मौजूद नहीं थे जो कृत्रिम बारिश के लिए उपयुक्त हों। इस प्रक्रिया के लिए कम ऊंचाई वाले और नमी से भरे ‘क्यूम्यलस ‘बादलों की जरूरत होती है, जो उस दिन नहीं थे।
हवा में नमी का अभाव:
क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायन बादलों में मौजूद नमी को संघनित करके बारिश की बूंदों में बदलते हैं। यदि हवा ही सूखी हो और नमी की मात्रा बहुत कम हो, तो यह प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती। गुरुवार को दिल्ली की हवा में नमी का स्तर काफी कम था।

अनुकूल तापमान का न होना:
इस प्रक्रिया के लिए बादलों का तापमान भी एक निश्चित स्तर (आमतौर पर शून्य से नीचे) पर होना चाहिए, ताकि बर्फ के कण बन सकें जो बाद में पिघलकर बारिश के रूप में गिरें। ये सभी अनुकूल परिस्थितियाँ एक साथ न मिलने के कारण परीक्षण विफल हो गया।
IIT कानपुर की टीम ने पहले ही स्पष्ट किया था कि यह सफलता की गारंटी नहीं है, बल्कि यह मौसम पर निर्भर करेगा। सरकार का कहना है कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट था और भविष्य में मौसम अनुकूल होने पर दोबारा प्रयास किया जाएगा।
Also Read :
बोइंग को 777X प्रोग्राम में झटका, 5 अरब डॉलर का नुकसान और डिलीवरी 2027 तक टली
10 साल बाद फिर गूंजा ‘महिष्मति’ का शंखनाद, बाहुबली : द एपिक ट्रेलर ने मचा दी सनसनी