ZEE5 पर 17 अक्टूबर 2025 को रिलीज़ हुई क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘भागवत चैप्टर वन: राक्षस’ (Bhagwat Chapter 1 : Raakshas) दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इस फिल्म में अरशद वारसी और जितेंद्र कुमार ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं, जबकि निर्देशन किया है अक्षय शेर ने। फिल्म की शुरुआत जितनी रोमांचक है, उतना ही इसका दूसरा हिस्सा कहानी की पकड़ ढीली कर देता है।
कहानी : एक लापता लड़की का केस बनता है डरावना सच
फिल्म की कहानी एसीपी विश्वास भागवत (अरशद वारसी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें हाल ही में रॉबर्ट्सगंज में ट्रांसफर किया गया है। उन्हें एक साधारण-सा केस मिलता है — पूनम मिश्रा नाम की एक लड़की लापता हो गई है। जांच शुरू होती है और धीरे-धीरे भागवत को एहसास होता है कि यह कोई एक केस नहीं, बल्कि पिछले कई सालों से लड़कियों के गायब होने की एक खौफनाक कड़ी है। इस कड़ी में एक नाम उभरकर सामने आता है — समीर (जितेंद्र कुमार), जो पेशे से एक स्कूल टीचर है और खुद को “प्रोफेसर” कहता है।
फिल्म दो समानांतर ट्रैकों पर चलती है
एक तरफ है भागवत की सस्पेंस से भरी पुलिस जांच, और दूसरी तरफ समीर की प्रेम कहानी, जो धीरे-धीरे एक डरावनी दीवानगी में बदल जाती है। कहानी का मुख्य सवाल यही है — क्या एसीपी भागवत इस राक्षस को पकड़ पाएगा और लापता लड़कियों को न्याय दिला पाएगा?
अभिनय: अरशद और जितेंद्र ने फिल्म को संभाला
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसके लीड एक्टर्स का शानदार अभिनय।
जितेंद्र कुमार, जो ‘पंचायत’ और ‘कोटा फैक्ट्री’ जैसे हल्के-फुल्के किरदारों के लिए जाने जाते हैं, यहाँ पूरी तरह से एक नए रूप में नजर आते हैं। उनका किरदार रहस्यमय, ठंडा और डरावना है — और यह रोल शायद उनके करियर का सबसे अलग और दमदार काम है। अरशद वारसी ने भी एसीपी भागवत के रूप में एक सधा हुआ, गंभीर और भावनात्मक किरदार निभाया है। उनकी स्क्रीन उपस्थिति कहानी को असलियत देती है और वही फिल्म को जमीन से जोड़े रखती है। दोनों के बीच के सीन फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी हैं — हर टकराव और हर संवाद में एक मनोवैज्ञानिक तनाव महसूस होता है।
निर्देशन और लेखन
मजबूत शुरुआत, कमजोर अंत अक्षय शेर का निर्देशन फिल्म के पहले हाफ में बेहद प्रभावशाली लगता है। केस की जांच, सस्पेंस का माहौल और शहर का ग्रे टोन कहानी को यथार्थ के करीब लाते हैं। लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म अपनी पकड़ खो देती है। प्लॉट धीरे-धीरे प्रेडिक्टेबल हो जाता है और क्लाइमेक्स उम्मीद से कहीं कमजोर पड़ता है। कोर्टरूम सीन में कहानी का टेंशन खत्म-सा महसूस होता है। हालांकि फिल्म की थीम और बेस मजबूत है, लेकिन स्क्रीनप्ले में गहराई की कमी और एंटागोनिस्ट के मानसिक पक्ष की अधूरी पड़ताल इसे और बेहतर बनने से रोकती है।
क्या है खास और क्या है कमजोर
जो काम करता है:
- अरशद वारसी और जितेंद्र कुमार का दमदार अभिनय
- पहले हाफ का रोमांचक इन्वेस्टिगेशन और सस्पेंस
- असल घटनाओं से प्रेरित कहानी का मजबूत आधार
जो नहीं जमता:
- दूसरे हाफ में कमजोर पटकथा और धीमी गति
- क्लाइमेक्स का प्रभावहीन और अचानक अंत
- कहानी में गहराई और भावनात्मक जुड़ाव की कमी
‘भागवत चैप्टर वन: राक्षस’ एक देखने लायक क्राइम थ्रिलर है — खासकर उन दर्शकों के लिए जो मजबूत एक्टिंग और डार्क स्टोरीलाइन पसंद करते हैं।हालांकि फिल्म की पटकथा कुछ जगहों पर ढीली पड़ती है, लेकिन अरशद वारसी और जितेंद्र कुमार की परफॉर्मेंस इसे औसत से ऊपर उठा देती है।
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)
अगर आप सस्पेंस, इन्वेस्टिगेशन और सायकोलॉजिकल थ्रिलर्स के शौकीन हैं, तो ‘भागवत चैप्टर वन: राक्षस’ जरूर एक बार देखने लायक है।
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