भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) अभियान को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (Defence Acquisition Council – DAC) ने शुक्रवार को लगभग ₹79,000 करोड़ की सैन्य उपकरणों और हथियार प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसमें से ₹70,000 करोड़ से अधिक की खरीद घरेलू उद्योगों से की जाएगी — यानी यह ‘मेक इन इंडिया’ नीति को बड़ा प्रोत्साहन देने वाला कदम है।
बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने की, जिसमें Acceptance of Necessity (AoN) को मंजूरी दी गई। इस मंजूरी का उद्देश्य भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को सशक्त करना और विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना है।
तीनों सेनाओं के लिए क्षमता-वृद्धि का बड़ा कदम
इस स्वीकृति के तहत भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों को अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस किया जाएगा।
- भारतीय थल सेना (Indian Army) : सेना को आधुनिक हथियार प्रणाली, लड़ाकू उपकरण और लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम मिलेंगे, जिससे दुर्गम इलाकों में भी ऑपरेशनल क्षमता में वृद्धि होगी।
- भारतीय नौसेना (Indian Navy) : नौसेना की समुद्री शक्ति को और मजबूत करने के लिए उन्नत युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम शामिल किए जाएंगे। इससे भारतीय नौसेना की ‘ब्लू वाटर नेवी’ बनने की दिशा में बड़ी प्रगति होगी।
- भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) : वायुसेना को अत्याधुनिक विमानों, निगरानी प्रणालियों और नई पीढ़ी के हथियारों से लैस किया जाएगा। इससे भारत की हवाई सुरक्षा और निगरानी क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।

आत्मनिर्भर भारत के मिशन को नई रफ्तार
सरकार का यह कदम केवल सेना की मजबूती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था और रक्षा उद्योग के लिए भी बड़ा अवसर है।इससे देश में रोजगार सृजन, नवाचार को प्रोत्साहन, और स्थानीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने में मदद मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय का यह निर्णय दोहरा उद्देश्य पूरा करता है
- भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिकतम तकनीक और उपकरण उपलब्ध कराना।
- देश के रक्षा निर्माण क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना और विदेशी निर्भरता घटाना।
रक्षा विशेषज्ञों की राय
रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला भारत को ‘डिफेंस एक्सपोर्ट हब’ बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। वर्तमान में भारत रक्षा उपकरणों का बड़ा आयातक है, लेकिन ऐसे फैसलों से भविष्य में वह खुद एक निर्यातक के रूप में उभरेगा।










