रक्षा क्षेत्र में बड़ा फैसला : ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ₹79,000 करोड़ के हथियारों की खरीद को मंजूरी दी

मेक इन इंडिया

भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) अभियान को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (Defence Acquisition Council – DAC) ने शुक्रवार को लगभग ₹79,000 करोड़ की सैन्य उपकरणों और हथियार प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसमें से ₹70,000 करोड़ से अधिक की खरीद घरेलू उद्योगों से की जाएगी — यानी यह ‘मेक इन इंडिया’ नीति को बड़ा प्रोत्साहन देने वाला कदम है।

बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने की, जिसमें Acceptance of Necessity (AoN) को मंजूरी दी गई। इस मंजूरी का उद्देश्य भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को सशक्त करना और विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना है।

तीनों सेनाओं के लिए क्षमता-वृद्धि का बड़ा कदम

इस स्वीकृति के तहत भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों को अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस किया जाएगा।

  1. भारतीय थल सेना (Indian Army) : सेना को आधुनिक हथियार प्रणाली, लड़ाकू उपकरण और लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम मिलेंगे, जिससे दुर्गम इलाकों में भी ऑपरेशनल क्षमता में वृद्धि होगी।
  1. भारतीय नौसेना (Indian Navy) : नौसेना की समुद्री शक्ति को और मजबूत करने के लिए उन्नत युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम शामिल किए जाएंगे। इससे भारतीय नौसेना की ‘ब्लू वाटर नेवी’ बनने की दिशा में बड़ी प्रगति होगी।
  1. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) : वायुसेना को अत्याधुनिक विमानों, निगरानी प्रणालियों और नई पीढ़ी के हथियारों से लैस किया जाएगा। इससे भारत की हवाई सुरक्षा और निगरानी क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।

मेक इन इंडिया

 

 

आत्मनिर्भर भारत के मिशन को नई रफ्तार

सरकार का यह कदम केवल सेना की मजबूती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था और रक्षा उद्योग के लिए भी बड़ा अवसर है।इससे देश में रोजगार सृजन, नवाचार को प्रोत्साहन, और स्थानीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने में मदद मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय का यह निर्णय दोहरा उद्देश्य पूरा करता है

  1. भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिकतम तकनीक और उपकरण उपलब्ध कराना।
  2. देश के रक्षा निर्माण क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना और विदेशी निर्भरता घटाना।

 

 रक्षा विशेषज्ञों की राय

रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला भारत को ‘डिफेंस एक्सपोर्ट हब’ बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। वर्तमान में भारत रक्षा उपकरणों का बड़ा आयातक है, लेकिन ऐसे फैसलों से भविष्य में वह खुद एक निर्यातक के रूप में उभरेगा।

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तेजस्वी यादव बने मुख्यमंत्री उम्मीदवार, महागठबंधन ने दिया पूरा समर्थन – बिहार चुनाव 2025 में नई जंग शुरू

तेजस्वी यादव

बिहार की राजनीति में आज बड़ा मोड़ आया है। महागठबंधन (Mahagathbandhan) ने औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस फैसले के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की जंग अब और दिलचस्प हो गई है।

महागठबंधन का सर्वसम्मति से फैसला

पटना में हुई महागठबंधन की शीर्ष बैठक में RJD, कांग्रेस, और वामपंथी दलों (CPI, CPI(M), CPI(ML)) के वरिष्ठ नेताओं ने सर्वसम्मति से तेजस्वी यादव के नाम पर मुहर लगाई।बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी दलों के नेताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव बिहार के युवाओं की उम्मीद और बदलाव का प्रतीक हैं।

कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा — “तेजस्वी यादव में बिहार को नई दिशा देने की क्षमता है। वे बेरोजगारी, शिक्षा और विकास के मुद्दों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ेंगे।”

तेजस्वी यादव की पहली प्रतिक्रिया — “यह बिहार के हर नौजवान की जिम्मेदारी”

तेजस्वी यादव ने गठबंधन के समर्थन के लिए सभी दलों का धन्यवाद किया और कहा कि यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि सोच के परिवर्तन का चुनाव है। “यह मेरे लिए सम्मान से बढ़कर जिम्मेदारी है। हमारा संकल्प है — बिहार को बेरोज़गारी, पलायन और भ्रष्टाचार से मुक्त कराना। हम ‘नौकरी, सिंचाई, दवाई और कमाई’ के वादे के साथ जनता के बीच जाएंगे।”

 

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता रोजगार सृजन, शिक्षा में सुधार और किसानों की आय बढ़ाना रहेगा।

तेजस्वी यादव

NDA ने किया पलटवार

तेजस्वी यादव के नाम के ऐलान के बाद NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई। भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि “तेजस्वी यादव की राजनीति वादों पर टिकी है, काम पर नहीं।” हालांकि महागठबंधन के नेताओं का दावा है कि इस बार जनता “विकल्प नहीं, बदलाव” चुनेगी।

पिछले चुनाव के आंकड़े और इस बार की चुनौती

2020 के विधानसभा चुनाव में RJD ने सबसे ज़्यादा सीटें (75) जीतकर खुद को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया था, जबकि NDA ने बहुमत हासिल कर सरकार बनाई। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में तेजस्वी यादव की लोकप्रियता विशेष रूप से युवाओं और ग्रामीण इलाकों में तेज़ी से बढ़ी है, और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनेगी।

सीट बंटवारे पर टिकी निगाहें

महागठबंधन अब सीट बंटवारे की रणनीति तय करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, RJD अधिकांश सीटों पर लड़ेगी, जबकि कांग्रेस और वाम दलों को उनके पारंपरिक प्रभाव वाले इलाकों में सीटें दी जाएंगी। इसके साथ ही, गठबंधन “बदलता बिहार, नया भविष्य” थीम के तहत एक बड़े प्रचार अभियान की तैयारी कर रहा है।

बिहार में अब सीधी टक्कर

तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने के साथ ही अब बिहार की लड़ाई सीधी हो गई है — एक ओर NDA के अनुभवी नेता नीतीश कुमार, और दूसरी ओर महागठबंधन के युवा चेहरा तेजस्वी यादव। राजनीतिक गलियारों में इसे “अनुभव बनाम युवा जोश” की जंग कहा जा रहा है।

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कौन बनीं जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री? जानिए सानाे ताकाइची की ऐतिहासिक जीत की पूरी कहानी

जापान

जापानी राजनीति में आज एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब  सानाे ताकाइची को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। संसद के दोनों सदनों में हुए चुनाव में उन्हें निचले सदन में 237 और ऊपरी सदन में 125 मत मिले, जिससे उनकी जीत स्पष्ट बहुमत के साथ पक्की हुई।

ऐतिहासिक जीत और राजनीतिक यात्रा

64 वर्षीय सानाे ताकाइची, सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) की प्रमुख नेता हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी मानी जाती हैं और उन्हें अक्सर जापान की “आयरन लेडी” कहा जाता है। ताकाइची ने अपनी राजनीतिक यात्रा में आर्थिक सुरक्षा मंत्री, आंतरिक मामलों की मंत्री जैसे अहम पद संभाले हैं और अब देश के सबसे बड़े राजनीतिक पद पर काबिज हो गई हैं।

उनकी जीत केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि जापान में लैंगिक समानता और महिला नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे यह संदेश जाता है कि जापानी राजनीति में अब महिलाओं का प्रतिनिधित्व पहले से कहीं ज्यादा संभव हो गया है।

विचारधारा और नीतिगत प्राथमिकताएं

रक्षा और सुरक्षा: ताकाइची चीन के बढ़ते प्रभाव और ताइवान स्ट्रेट की सुरक्षा पर कड़ा रुख रखती हैं। जापान की रक्षा क्षमताओं के विस्तार में उनका समर्थन स्पष्ट है। अर्थव्यवस्था: वे वित्तीय नीति में खर्च समर्थक हैं और सुस्त वृद्धि, उच्च महंगाई और येन की कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए प्रोत्साहनकारी कदम उठा सकती हैं।

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सामाजिक मुद्दे: सामाजिक मामलों में वे पारंपरिक रुख रखने वाली नेता हैं। समलैंगिक विवाह और विवाह के बाद उपनाम नीतियों में बदलाव पर उनका आरक्षित रुख रहा है। हालांकि महिलाओं के स्वास्थ्य और परिवार-सहायता कार्यक्रमों को मजबूत करने पर उनका ध्यान रहेगा।

सियासी समीकरण और गठबंधन

उनकी ताजपोशी के रास्ते में कुछ बाधाएं भी आईं। LDP के दीर्घकालिक सहयोगी दल ने समर्थन वापस लिया, जिससे उनकी स्थिति अस्थिर हुई। लेकिन अंतिम क्षण में राजनीतिक समझौते और पार्टी के भीतर संतुलन ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुँचाया।

तत्काल चुनौतियां

1. आर्थिक दबाव: महंगाई, सुस्त आर्थिक वृद्धि और जापान की दुनिया में सबसे अधिक ऋणग्रस्त स्थिति।

2. जन संतोष: कीमतों में वृद्धि और खाद्य-ऊर्जा आपूर्ति जैसी समस्याओं पर जनता का भरोसा बहाल करना।

3. विदेश नीति: अमेरिका के साथ सुरक्षा साझेदारी, चीन और कोरिया के साथ नाज़ुक रिश्ते—सभी पर संतुलित कूटनीति की जरूरत।

4. बाजार और निवेशक नजर: येन की चाल, बॉन्ड यील्ड और बैंक ऑफ़ जापान की नीति निवेशकों के लिए निगरानी का मुख्य केंद्र बनी रहेगी।

संभावित कैबिनेट और नेतृत्व का अंदाजा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्सुकी कटायामा को वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। वे आर्थिक और राजकोषीय मामलों में अनुभवी हैं, और यह महिला नेतृत्व में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा।

मूल संदेश और भविष्य की राह

सानाे ताकाइची की सरकार सुरक्षा, रक्षा और आर्थिक प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित करेगी। आने वाले 100 दिनों में महंगाई पर राहत, ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति पर कदम और येन स्थिरता पर घोषणाएं संभव हैं। क्षेत्रीय स्तर पर इंडो-पैसिफिक साझेदारों के साथ समन्वय उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा। उनकी यह जीत सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि जापानी राजनीति और समाज में महिला नेतृत्व और नीति निर्माण में बदलाव का संकेत देती है।

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₹15,000 करोड़ निवेश पर मचा बवाल — तमिलनाडु सरकार बोली ‘वादा पक्का’, Foxconn ने कहा ‘नया नहीं है’

तमिलनाडु सरकार

तमिलनाडु सरकार और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज कंपनी Foxconn के बीच ₹15,000 करोड़ के निवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जहाँ एक ओर राज्य सरकार दावा कर रही है कि यह ऐतिहासिक निवेश तमिलनाडु में लाखों नौकरियों के अवसर खोलेगा, वहीं Foxconn ने स्पष्ट किया है कि “कोई नया निवेश” चर्चा में नहीं आया था।

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

यह विवाद 13 अक्टूबर को तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और उद्योग मंत्री टी.आर.बी. राजा़ ने घोषणा की कि Foxconn कंपनी राज्य में ₹15,000 करोड़ का नया निवेश करेगी। यह घोषणा उस बैठक के बाद की गई थी जिसमें Foxconn के नए भारत प्रतिनिधि रॉबर्ट वू (Robert Wu) ने हिस्सा लिया था। राजा़ ने इसे “तमिलनाडु के औद्योगिक इतिहास का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग रोजगार सृजन प्रोजेक्ट” बताया और कहा कि यह निवेश 1 लाख से अधिक इंजीनियरिंग नौकरियाँ पैदा करेगा।

Foxconn का जवाब — “नई डील नहीं हुई”

मुख्यमंत्री की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद Foxconn की ओर से एक बयान जारी हुआ जिसमें कंपनी ने कहा, “बैठक में किसी नए निवेश पर चर्चा नहीं हुई। यह हमारी पहले से चल रही परियोजनाओं की निरंतरता मात्र है।”

तमिलनाडु सरकार

Foxconn के बयान से राज्य सरकार के दावे पर सवाल उठ खड़े हुए और सोशल मीडिया पर यह चर्चा छा गई कि क्या सरकार ने निवेश को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।

राज्य सरकार का पलटवार — “एक साल से चल रही मेहनत अब रंग लाई”

तमिलनाडु सरकार ने तुरंत स्पष्टीकरण जारी किया। मंत्री राजा़ ने कहा कि यह “नया निवेश नहीं, बल्कि पहले से चल रही वार्ताओं का परिणाम है”, जिसे अब आधिकारिक रूप से सार्वजनिक किया गया है। उन्होंने कहा, “Foxconn इसे ‘नया निवेश’ नहीं कह सकती क्योंकि बातचीत एक साल से चल रही थी, लेकिन यह पहली बार है जब कंपनी ने आधिकारिक रूप से प्रतिबद्धता जताई है। यह तमिलनाडु के लिए एक ऐतिहासिक पल है।”

राजा़ ने यह भी कहा कि Foxconn की यह परियोजना राज्य की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नई दिशा देगी, और चेन्नई, होसूर तथा कांचीपुरम जैसे औद्योगिक इलाकों में नए संयंत्रों की संभावना को मजबूत करेगी।

Foxconn की भारत में भूमिका

Foxconn पहले से ही भारत में Apple iPhone असेंबली के लिए चेन्नई के पास स्रीपेरुंबुदुर (Sriperumbudur) में एक बड़ी यूनिट चला रही है। हाल के महीनों में कंपनी ने कर्नाटक और तेलंगाना में भी अपने निवेश बढ़ाए हैं।

तमिलनाडु सरकार का कहना है कि ₹15,000 करोड़ का यह निवेश कंपनी के सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट निर्माण के विस्तार से जुड़ा है। हालांकि Foxconn ने अब तक इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

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निवेश पर राजनीति भी गरमाई

विपक्षी दल AIADMK और BJP ने राज्य सरकार पर “राजनीतिक लाभ के लिए निवेश आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने” का आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि Foxconn के साथ एमओयू (MoU) कब साइन हुआ और क्या इसके तहत कोई नई यूनिट स्थापित होने जा रही है या नहीं।

वहीं, उद्योग मंत्री राजा़ ने विपक्ष के आरोपों को “भ्रम फैलाने वाला” बताया और कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने निवेश प्रतिज्ञाओं पर पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के साथ कायम है।

आर्थिक विशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह विवाद तकनीकी शब्दों का मामला है — जहाँ Foxconn इसे “नई प्रतिबद्धता” नहीं मान रही, वहीं सरकार “पुष्ट की गई निवेश योजनाओं” को सार्वजनिक रूप से घोषणा योग्य मान रही है। चेन्नई स्थित उद्योग विश्लेषक एस. राजगोपाल का कहना है, “सरकार और कंपनी दोनों सही हैं — Foxconn ने निवेश की योजना पहले बनाई थी, लेकिन अब यह औपचारिक रूप से तय हो गई है। यह निवेश तमिलनाडु को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स हब के रूप में और मजबूत करेगा।”

आगे क्या?

राज्य सरकार ने कहा है कि परियोजना के शुरुआती चरण की औपचारिक प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही (FY26 Q1) से शुरू होगी। इसके तहत निर्माण, मशीनरी इंस्टॉलेशन और स्थानीय सप्लाई चेन तैयार करने का काम एक साथ चलेगा। Foxconn और सरकार के बीच सहमति के दस्तावेजों को अंतिम रूप देने के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति गठित की जाएगी।

₹15,000 करोड़ के इस निवेश को लेकर जारी विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि भारत में बड़े औद्योगिक समझौते केवल कॉरपोरेट घोषणाओं से नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण और सार्वजनिक धारणा से भी प्रभावित होते हैं।भले ही Foxconn इसे “नया निवेश” न मान रही हो, लेकिन तमिलनाडु सरकार के लिए यह एक राजनीतिक और औद्योगिक जीत के रूप में देखा जा रहा है — जो आने वाले वर्षों में राज्य की आर्थिक दिशा तय कर सकती है।

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Bihar Election 2025 : 6 और 11 नवंबर की जंग, नए नियम और चुनाव का नया रूप

Bihar Election

Bihar Election 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव सिर्फ एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि नवाचार, पारदर्शिता और राजनीतिक बदलाव की महाकुंभ भी है। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 6 नवंबर और 11 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग होगी और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। इस बार ECI ने कई नए सुधार लागू किए हैं—हर बूथ पर 100% webcasting, EVM पर रंगीन फोटो और बड़े फॉन्ट, तथा हर बूथ में अधिकतम 1,200 वोटर की सीमा—सब बदलाव इस चुनाव को पारदर्शी बनाने की दिशा में हैं।

बदलाव की दिशा

इस चुनाव में आयोग ने 17 नई पहल पेश की हैं, जिन्हें आगे राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयोग किया जा सकता है। इनमें से एक है बूथों पर mobile deposit facility, जिससे voters लाइन में खड़े न हों और जरूरी formalities तुरंत पूरी हो सकें। साथ ही, Voter Information Slip (VIS) जारी की जाएगी जिसमें QR कोड और बड़े फॉन्ट में बूथ और मतदान जानकारी दी जाएगी। और SC/ST मतदाताओं के लिए Braille VIS (ब्रेल भाषा में सूचना) का प्रावधान रखा गया है ताकि व्हिज़ुअली इम्पेयर्ड मतदाता भी सहज रूप से भाग ले सकें।

कौन-कौन मैदान में

इस चुनाव में NDA के नेता Nitish Kumar, Chirag Paswan, Upendra Kushwaha, Jitan Ram Manjhi जैसे पुराने और नए चेहरे मैदान में हैं। बदले की हवा में Tejashwi Yadav (RJD) और कांग्रेस हिस्सा ले रही है। इसके अलावा, राजनीतिक रणनीतिकार Prashant Kishor की Jan Suraaj Party भी नए एजेंडा लेकर खड़ी है, जिसमें पार्टी संरचना, उम्मीदवार चयन और clean politics जैसे मुद्दे मुख्य हैं।

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चुनौतियाँ और विवाद:

चुनाव से पहले SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया ने विवादों को जन्म दिया है। करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाये जाने की खबर आई है, जिसे विपक्ष ने गंभीर रूप से उठाया है। इस विवाद को SC में चुनौती दी गई है, जहां सवाल यह उठाए गए हैं कि यह प्रक्रिया निहित स्वार्थ को बढ़ावा नहीं दे रही हो। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि Aadhaar को वोटर पहचान हेतु प्रमाण नहीं माना जाएगा; सचमुच दस्तावेज जांच प्रक्रिया कड़ी होगी।

जनता की उम्मीद और चुनाव का मायना

इस चुनाव में 7.42 करोड़ से अधिक वोटर हिस्सा लेंगे, और लगभग 90,712 बूथ तैयार किए गए हैं। निर्णायक बदलावों के साथ—100% webcasting, mobile deposit facility, ब्रेल VIS, बड़े फॉन्ट वाले VIS और रंगीन फोटो वाले EVM—यह चुनाव “Mother of All Elections” कहा जा रहा है।

अब सवाल है—क्या इन नए कानूनों, सुधारों और डिजिटल पहल के बीच जीत सिर्फ वोटों की होगी, या जनता की आवाज़ व विकास की उम्मीद भी संजोएगी भारत की राजनीति को नया चेहरा देगा?

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तमिलनाडु में थलापति विजय की रैली में भगदड़ से 39 की मौत, 40 से अधिक घायल, भीड़ प्रबंधन पर उठे सवाल

थलापति विजय

करूर (तमिलनाडु), 27 सितंबर 2025 – दक्षिण भारत के सुपरस्टार और अब राजनीति में सक्रिय अभिनेता थलापति विजय की करूर में आयोजित चुनावी रैली शनिवार को दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गई। उनकी पार्टी तमिझगा वेत्री कड़गम (TVK) की इस रैली में भगदड़ मचने से कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों में 17 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं। यह त्रासदी न केवल राज्य की राजनीति को हिला गई है, बल्कि भीड़ प्रबंधन और प्रशासनिक लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

हादसे की वजहें : भीड़, बिजली गुल और अफरा-तफरी

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, आयोजन स्थल पर करीब 30,000 लोगों के आने का अनुमान था। लेकिन विजय की लोकप्रियता इतनी ज्यादा निकली कि 60,000 से अधिक लोग करूर पहुंच गए। मैदान में खड़े लोगों के लिए न तो पर्याप्त जगह थी, न ही कोई व्यवस्थित निकास मार्ग। विजय को दोपहर 12 बजे मंच पर पहुंचना था, लेकिन वे लगभग 7 घंटे देर से शाम 7 बजे आए। इस बीच, तेज धूप और लंबे इंतजार से भीड़ बेचैन हो चुकी थी। जैसे ही विजय का प्रचार वाहन मैदान में दाखिल हुआ, अचानक बिजली गुल हो गई और पूरे इलाके में अंधेरा छा गया। घबराहट में लोग धक्का-मुक्की करने लगे।

बेहतर नज़ारा पाने के लिए कुछ लोग पास के पेड़ पर चढ़ गए थे। अचानक शाखा टूट गई और वे नीचे खड़े लोगों पर गिर पड़े। इससे भगदड़ और तेज हो गई। विजय को देखते ही हज़ारों समर्थक उनकी एक झलक पाने के लिए बैरिकेड तोड़कर मंच की तरफ दौड़ पड़े। तभी पूरा नियंत्रण बिगड़ गया। कुछ ही मिनटों में मैदान चीख-पुकार से भर गया। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और दम घुटने से दर्जनों लोगों की जान चली गई।

थलापति विजय

विजय की प्रतिक्रिया : “यह मेरा व्यक्तिगत नुकसान है”

हादसे के दौरान विजय मंच पर मौजूद थे। उन्होंने पहले तो एम्बुलेंस के लिए रास्ता बनाने की अपील की, लेकिन जल्द ही जब उन्हें मौतों का अंदेशा हुआ तो उन्होंने कार्यक्रम रोक दिया। बाद में शोक जताते हुए उन्होंने कहा – “आज जो कुछ हुआ, उसने मेरा दिल तोड़ दिया है। मैं अपने प्रशंसकों को खो चुका हूँ, यह मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान है। हर प्रभावित परिवार के साथ मैं खड़ा हूँ।” विजय ने अपनी पार्टी की ओर से मृतकों के परिवारों को 20 लाख रुपये और घायलों को 5 लाख रुपये देने की घोषणा की।

सरकार की कार्रवाई और मुआवजा

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस हादसे को “अत्यंत दर्दनाक” बताते हुए न्यायिक जांच आयोग गठित करने की घोषणा की। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा –”यह केवल एक हादसा नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि भीड़ प्रबंधन में कितनी खामियां हैं। सरकार दोषियों को बख्शेगी नहीं।” पुलिस ने इस मामले में TVK के महासचिव एन. आनंद समेत आयोजकों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया है।

राष्ट्रीय नेताओं की संवेदनाएँ

इस हादसे ने पूरे देश को हिला दिया है।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – “तमिलनाडु की इस त्रासदी ने पूरे राष्ट्र को दुखी किया है। मेरी संवेदनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं।”
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा – “राजनीतिक रैली को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी नेताओं और प्रशासन की है। यह त्रासदी टाली जा सकती थी।”
  • राज्यपाल आर.एन. रवि ने इसे “मानवीय आपदा” करार देते हुए पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी।

थलापति विजय

पीड़ित परिवारों का दर्द

रामलक्ष्मी नाम की एक महिला, जिनके भाई की इस हादसे में मौत हो गई, रोते हुए बोलीं – “हम तो बस विजय को देखने आए थे, लेकिन हमें उसका शव लेकर लौटना पड़ा। यह मौतें रोकी जा सकती थीं अगर इंतजाम पुख्ता होते।” वहीं घायल मुरुगन ने अस्पताल में कहा – “हम घंटों खड़े थे। अचानक लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मैं बच गया लेकिन मेरे साथ आए दो दोस्त अब नहीं रहे।”

राजनीतिक पृष्ठभूमि और असर

विजय ने इस साल अपनी पार्टी तमिझगा वेत्री कड़गम (TVK) लॉन्च की थी। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में वे बड़ा असर डाल सकते हैं। करूर की यह रैली उसी प्रचार अभियान का हिस्सा थी और इसे उनकी अब तक की सबसे बड़ी जनसभा माना जा रहा था। लेकिन इस त्रासदी ने विजय की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष पहले ही भीड़ प्रबंधन की लापरवाही का ठीकरा TVK पर फोड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हादसा विजय के चुनावी अभियान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

हादसे के बाद बढ़ी सुरक्षा

हादसे के बाद विजय के चेन्नई स्थित घर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने भविष्य की रैलियों के लिए भीड़ प्रबंधन को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। करूर की यह त्रासदी सिर्फ एक राजनीतिक रैली में हुआ हादसा नहीं है, बल्कि भीड़ प्रबंधन की गंभीर लापरवाही की मिसाल भी है। विजय की लोकप्रियता ने रैली को भले ही ऐतिहासिक बना दिया हो, लेकिन असंगठित तैयारी ने इसे मौत का मंजर बना दिया।

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भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों का रिकॉर्ड विस्तार : 2.87 लाख करोड़ रुपये के बजट के साथ निर्माण में तेजी

राष्ट्रीय राजमार्गों

भारत ने पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और विस्तार में अभूतपूर्व प्रगति की है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, 2014 में देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 91,287 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 1,46,204 किलोमीटर हो गई है। इस दौरान 830 से अधिक प्रमुख परियोजनाओं को पूरा किया गया और औसतन निर्माण की गति 35 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई। इस उपलब्धि ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क संचालक देश बना दिया है।

हाल की चुनौतियाँ और धीमी गति

हालांकि, हाल के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में निर्माण की गति 29 किलोमीटर प्रतिदिन रह गई, जो पिछले वर्ष 34 किलोमीटर प्रतिदिन से कम है। इस दौरान कुल 10,660 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ। निर्माण की इस धीमी गति के पीछे मौसम की अनिश्चितताएँ, भूमि अधिग्रहण की जटिलताएं और परियोजना निष्पादन में चुनौतियाँ मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

राष्ट्रीय राजमार्गों

बजट और निवेश

वित्त वर्ष 2025-26 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए कुल ₹2.87 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के लिए ₹1.87 लाख करोड़ शामिल हैं। यह बजट पिछले वर्ष की तुलना में 2.41 प्रतिशत अधिक है और इसके जरिए सरकार ने सड़क नेटवर्क के विकास, रखरखाव और नई परियोजनाओं के क्रियान्वयन को प्राथमिकता देने का स्पष्ट संदेश दिया है।

भविष्य की रणनीति और लक्ष्य

सरकार ने 2030 तक राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति को 100 किलोमीटर प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में आधुनिक मशीनरी, डिजिटल निगरानी और तकनीकी नवाचारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा धीमी गति के बावजूद दीर्घकालिक रणनीति और वित्तीय समर्थन भारत को विश्व स्तर पर सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे में अग्रणी बना सकती है।

CareEdge रेटिंग्स के अनुसार, 2025-26 में निर्माण की गति 27-29 किलोमीटर प्रतिदिन रह सकती है। निर्माण गतिविधियों में इस संभावित गिरावट के बावजूद, लंबी अवधि में निवेश और तकनीकी उपाय सड़क विकास को मजबूत बनाएंगे।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विस्तार ने न केवल आर्थिक गतिविधियों को तेज किया है, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बेहतर सड़क नेटवर्क से परिवहन लागत घट रही है, माल और सेवाओं की आपूर्ति समय पर हो रही है, और व्यापार व उद्योगों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। ईस्ट-वेस्ट और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के निर्माण ने देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर आर्थिक गति को और बढ़ावा दिया है।

राष्ट्रीय राजमार्गों

सड़क परियोजनाओं में सुरक्षा और टिकाऊपन पर भी ध्यान दिया गया है। आधुनिक संकेतक, फाटक, पुल और टोल प्लाजा न केवल यात्रा को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि निर्माण की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करते हैं। ठोस और टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल, डिजिटल निगरानी और जीपीएस आधारित ट्रैकिंग से निर्माण प्रक्रिया की निगरानी आसान और पारदर्शी बनी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की इस उपलब्धि की सराहना की गई है। दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क और तेजी से बढ़ती राष्ट्रीय राजमार्ग लंबाई ने भारत को वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास में अग्रणी बनाने में मदद की है।

निष्कर्ष

पिछले एक दशक में भारत ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और विस्तार में रिकॉर्ड प्रगति की है। ₹2.87 लाख करोड़ के बजट के साथ, सरकार ने सड़क निर्माण की गति बढ़ाने, नेटवर्क को मजबूत बनाने और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों को जोड़ने का स्पष्ट संदेश दिया है। चुनौतियां अभी भी हैं, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण और वित्तीय समर्थन के कारण यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में और तेजी से विकसित होने की संभावना रखता है।

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पीएम मोदी का ओडिशा दौरा : ₹60,000 करोड़ के पैकेज से स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और कौशल विकास को बड़ी सौगात

पीएम मोदी

पीएम मोदी ने शनिवार को ओडिशा को अब तक की सबसे बड़ी विकास सौगात देते हुए ₹60,000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास और ग्रामीण आवास जैसे अहम क्षेत्र शामिल हैं। मोदी ने कहा कि ये कदम “विकसित भारत, विकसित ओडिशा” की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा निवेश

ओडिशा के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ मुहैया कराने के लिए पीएम मोदी ने एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज (बेरहामपुर) और वीआईएमएसएआर (संबलपुर) को सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में अपग्रेड करने की आधारशिला रखी। इन अस्पतालों में आधुनिक ट्रॉमा केयर यूनिट्स, मातृ एवं शिशु देखभाल केंद्र, डेंटल कॉलेज और बेड क्षमता में बढ़ोतरी होगी। मोदी ने कहा कि अब ओडिशा के मरीजों को जटिल इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

ग्रामीण आवास में 50,000 परिवारों को पक्का घर

आवास योजना के तहत प्रधानमंत्री ने अंत्योदय गृह योजना के 50,000 लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र वितरित किए। इसके तहत कमजोर वर्गों — जैसे विकलांग, विधवा, और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों — को पक्के मकान और आर्थिक सहायता दी जाएगी। पीएम मोदी ने कहा – “गरीब का सपना है अपना घर। हमारी सरकार यह सपना पूरा करने के लिए हर संभव मदद कर रही है।”

पीएम मोदी

शिक्षा और अनुसंधान में ₹11,000 करोड़ का निवेश

प्रधानमंत्री ने आठ IITs (तिरुपति, पलक्कड़, भिलाई, जम्मू, धारवाड़, जोधपुर, पटना और इंदौर) के विस्तार का शिलान्यास किया। इस पर करीब ₹11,000 करोड़ का निवेश होगा। इससे अगले चार वर्षों में 10,000 नए छात्रों के लिए सीटें तैयार होंगी और आठ नए रिसर्च पार्क बनाए जाएंगे। मोदी ने कहा कि ये कदम भारत को नवाचार और अनुसंधान का वैश्विक केंद्र बनाएंगे।

कौशल विकास और युवाओं पर फोकस

युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर देने के लिए पीएम मोदी ने ओडिशा स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट फेज-II की शुरुआत की। इसके तहत संबलपुर और बेरहामपुर में वर्ल्ड स्किल सेंटर्स खोले जाएंगे। यहाँ छात्रों को एग्रीटेक, नवीकरणीय ऊर्जा, रिटेल, समुद्री क्षेत्र और हॉस्पिटैलिटी जैसे उभरते क्षेत्रों में ट्रेनिंग मिलेगी। इसके साथ ही 130 उच्च शिक्षा संस्थानों में मुफ्त वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना से प्रतिदिन 2.5 लाख छात्रों को मुफ्त डेटा पैक का लाभ मिलेगा।

पीएम मोदी

 

डबल इंजन सरकार उम्मीदें पूरी कर रही है

बीजेपी सांसद बैजयंत जय पांडा ने कहा कि ओडिशा को जो विकास चाहिए था, वह अब डबल इंजन सरकार से पूरा हो रहा है। “आज स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, आवास से लेकर कौशल विकास तक हर क्षेत्र में बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। यह ओडिशा के सुनहरे भविष्य की नींव है।”

विकसित भारत, विकसित ओडिशा

मोदी ने कहा कि ये सभी प्रोजेक्ट मिलकर ओडिशा को आत्मनिर्भर बनाएंगे और युवाओं को नए अवसर देंगे। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएँ और राज्य को विकास की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ। कुल मिलाकर, पीएम मोदी का यह दौरा केवल परियोजनाओं का शिलान्यास भर नहीं, बल्कि ओडिशा के लिए एक समग्र विकास पैकेज साबित हुआ है, जिसमें ₹60,000 करोड़ से अधिक का निवेश स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल और आवास जैसी मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने पर केंद्रित है।

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