दिल्ली के मुनीरका की गलियों से निकलकर, 20 साल की Himanshi Tokas ने वो कर दिखाया है जो आज तक किसी भारतीय जूडो खिलाड़ी ने नहीं किया। International Judo Federation की ताज़ा जूनियर वर्ल्ड रैंकिंग में वह महिला -63kg कैटेगरी की नंबर 1 खिलाड़ी बन गई हैं। यह उपलब्धि भारत के लिए पहली बार है और उनके 610 प्वाइंट्स ने उन्हें शीर्ष पर पहुंचा दिया।
संघर्ष की कहानी: चोट से चैंपियन तक
Himanshi Tokas का परिवार खेलों से दूर था। अक्सर पड़ोसी कहते—“लड़की है, क्यों लड़कों वाला खेल चुन रही है?” लेकिन मां और दादी ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। एक बार गंभीर आंख की चोट के बाद लगा कि उनका करियर थम जाएगा, मगर हिमांशी ने हार नहीं मानी।
ट्रेनिंग और Exposure: भारत से जापान तक
Sub-Junior Nationals (2019) में सिल्वर मेडल और Khelo India Youth Games (2020) में प्रदर्शन के बाद, उनका चयन भोपाल के SAI National Centre of Excellence में हुआ। वहां कोच यशपाल सोलंकी ने उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी। इसके अलावा जापान और यूरोप में इंटरनेशनल exposure ने उनकी तकनीक को नया स्तर दिया।

2025: जीत का साल
साल 2025 हिमांशी के करियर में सुनहरी कहानी लिख गया। इसी साल उन्होंने Casablanca African Open में पहला गोल्ड जीता, उसके बाद Taipei Junior Asian Cup में फिर से पोडियम के सबसे ऊँचे पायदान पर खड़ी हुईं। इसके बाद Asian Junior Championship में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर तीसरा गोल्ड अपने नाम किया। इतना ही नहीं, अफ्रीका में आयोजित African Cup में भी उन्होंने बाज़ी मारी और लगातार चौथा गोल्ड जीत लिया। इन टूर्नामेंट्स के अलावा एक सिल्वर मेडल भी उनकी झोली में आया।
हर मुकाबले में उनका आत्मविश्वास साफ दिखा—कुल नौ बाउट्स उन्होंने Ippon से खत्म किए, जो जूडो का नॉकआउट प्वाइंट माना जाता है। यही consistency उन्हें 610 प्वाइंट्स और आखिरकार वर्ल्ड नं.1 रैंकिंग तक ले गई।
सिस्टम से सवाल: अब सरकार की बारी
अब बड़ा सवाल है— क्या Himanshi Tokas की इस जीत के बाद सरकार और स्पोर्ट्स बॉडीज सिर्फ़ तालियाँ बजाकर रुक जाएँगी, या जूडो और अन्य “non-cricket” खेलों को भी ज़रूरी फंडिंग और exposure मिलेगा? क्या Khelo India, SAI, Eklavya योजनाएँ सही मायनों में grassroots खिलाड़ियों तक पहुँचेंगी?
मिसाल बन चुकी हिमांशी
Himanshi Tokas की जीत सिर्फ़ एक खिलाड़ी की personal achievement नहीं, बल्कि पूरे भारत के खेल जगत के लिए wake-up call है। ये कहानी बताती है कि सही सपोर्ट, कोचिंग और exposure के साथ कोई भी बच्चा—चाहे बड़े शहर से हो या छोटे गाँव से—World No.1 बन सकता है।
संदेश साफ़ है,अगर सिस्टम ने इस ऊर्जा को सही दिशा दी, तो भारत के और भी खिलाड़ी दुनिया की नंबर 1 रैंकिंग तक पहुँचेंगे। Himanshi Tokas ने यह साबित कर दिया है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती।
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