भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग ने इतिहास रच दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत से यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों का निर्यात अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गया है। SIAM (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, इस तिमाही में भारत के कुल वाहन निर्यात में 26% की जबरदस्त बढ़त दर्ज की गई है। कुल 16.85 लाख यूनिट्स वाहनों का निर्यात हुआ, जो पिछले साल की तुलना में एक नया रिकॉर्ड है।
यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल एक बड़ा उपभोक्ता बाजार नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक वाहन निर्माण और निर्यात केंद्र (export hub) के रूप में उभर रहा है।
हर सेगमेंट में दिखी शानदार वृद्धि
निर्यात में आई तेजी किसी एक श्रेणी तक सीमित नहीं रही, बल्कि सभी वाहन सेगमेंट्स ने शानदार प्रदर्शन किया है।
- यात्री वाहन (Passenger Vehicles): इस श्रेणी ने अपनी अब तक की सबसे मजबूत दूसरी तिमाही दर्ज की। यात्री वाहन निर्यात 23% बढ़कर 2,41,554 यूनिट्स तक पहुँच गया। इसमें कारों के निर्यात में 20.5% और यूटिलिटी व्हीकल्स (SUVs) में 26% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस सेगमेंट में Maruti Suzuki, Hyundai Motor India, और Tata Motors जैसी कंपनियाँ अग्रणी रहीं।
- दोपहिया वाहन (Two-Wheelers): दोपहिया वाहन निर्यात ने भी नया रिकॉर्ड बनाया। इस श्रेणी में 25% की वृद्धि के साथ कुल 12,95,468 यूनिट्स विदेश भेजे गए। मोटरसाइकिलों का निर्यात 27% बढ़ा, जबकि स्कूटर सेगमेंट में 12% की वृद्धि रही।
- तीनपहिया वाहन (Three-Wheelers): इस श्रेणी में निर्यात में सबसे ज्यादा 51% की छलांग लगी — यह पिछले छह वर्षों में सबसे ऊँचा स्तर है। कुल 1,23,480 यूनिट्स निर्यात किए गए।
- वाणिज्यिक वाहन (Commercial Vehicles): ट्रक और अन्य व्यावसायिक वाहनों के निर्यात में भी 22% की बढ़त रही, जो 24,011 यूनिट्स तक पहुँचा।
कुल मिलाकर, अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच भारत ने 30.99 लाख वाहन विदेशों में भेजे — जो पिछले साल की तुलना में 24.4% अधिक है।

क्यों बढ़ रही है ‘मेड इन इंडिया’ वाहनों की मांग
भारत के निर्यात में यह उछाल कई कारणों से संभव हुआ है —
- भारतीय कंपनियों की किफायती निर्माण क्षमता और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन मानक ने विश्व बाजार में भरोसा जीता है।
- विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता बढ़ी है।
- केंद्र सरकार की ‘Make in India’ नीति और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं ने भी उद्योग को बड़ी मदद दी है।
- भारतीय वाहन अब अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे बाजारों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
आर्थिक और रोजगार पर सकारात्मक असर
ऑटो निर्यात में इस अभूतपूर्व वृद्धि से भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा बल मिलेगा।
- यह रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।
- स्थानीय निर्माण इकाइयों और सप्लाई चेन नेटवर्क को मजबूती मिलेगी।
- और सबसे अहम, यह भारत को वैश्विक ऑटो हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

SIAM के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने कहा —“सभी सेगमेंट में आई वृद्धि दिखाती है कि भारतीय वाहनों की ब्रांड वैल्यू और गुणवत्ता को अब विश्व स्तर पर पहचान मिल रही है।”
भारत का ऑटो उद्योग अब सिर्फ घरेलू बाजार पर निर्भर नहीं है। “Made in India” वाहनों की वैश्विक मांग बढ़ने से भारत विश्व के शीर्ष वाहन निर्यातकों की सूची में शामिल होने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। यह न केवल देश की औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक ऑटोमोबाइल शक्ति (Global Automotive Power) बनने की राह पर है।
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