भारत सरकार लगातार आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल स्वदेशीकरण की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसी कड़ी में हाल ही में एक बड़ा प्रतीकात्मक लेकिन अहम कदम देखने को मिला, जब केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह ऐलान किया कि वे अब विदेशी सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल नहीं करेंगे और अपने कामकाज के लिए पूरी तरह भारतीय कंपनी Zoho के ऑफिस सूट का उपयोग करेंगे। यह घोषणा उन्होंने न सिर्फ़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर की, बल्कि कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान Microsoft PowerPoint की जगह Zoho Show के ज़रिए अपनी प्रस्तुति देकर इसका प्रत्यक्ष प्रदर्शन भी किया।
अश्विनी वैष्णव का संदेश
अश्विनी वैष्णव ने X पर लिखा – “I am moving to Zoho — our own Swadeshi platform for documents, spreadsheets & presentations.” (मैं Zoho पर जा रहा हूँ – हमारा अपना स्वदेशी प्लेटफ़ॉर्म जो डॉक्युमेंट्स, स्प्रेडशीट्स और प्रेजेंटेशंस के लिए है।) यह संदेश सिर्फ़ एक तकनीकी बदलाव की सूचना नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा विज़न छिपा था – भारत को डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना।
Zoho का सफ़र और Vembu की प्रतिक्रिया
Zoho के संस्थापक और CEO श्रीधर वेम्बु, जो लंबे समय से भारतीय सॉफ़्टवेयर इंडस्ट्री को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, ने इस कदम को “विशाल मनोबल बढ़ाने वाला” बताया। उन्होंने कहा – “This ministerial endorsement is a huge morale boost for our engineers who have worked hard for over two decades to build our product suite.”
(मंत्री जी का यह समर्थन हमारे इंजीनियर्स के लिए बहुत बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला है, जिन्होंने बीते दो दशकों से हमारी प्रोडक्ट सीरीज़ पर कड़ी मेहनत की है।) Zoho का सफ़र 1996 में शुरू हुआ था और आज यह 180+ देशों में अपनी सेवाएँ देता है। कंपनी का मुख्यालय चेन्नई और कैलिफ़ोर्निया, दोनों जगह है, और यह पूरी तरह प्रॉफिटेबल व बूटस्ट्रैप्ड कंपनी मानी जाती है।

सरकारी स्तर पर क्यों अहम है यह बदलाव?
सरकारी बैठकों, मंत्रालयों और विभागों में अभी तक Microsoft Office या Google Workspace जैसे विदेशी टूल्स का व्यापक इस्तेमाल होता आया है। ऐसे में एक केंद्रीय मंत्री का सार्वजनिक रूप से Zoho को अपनाना कई मायनों में महत्वपूर्ण है—
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टेक्नोलॉजिकल संप्रभुता (Technological Sovereignty) : डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। स्वदेशी सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल से संवेदनशील सरकारी डाटा देश के भीतर ही सुरक्षित रहेगा।
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‘वोकल फ़ॉर लोकल’ का डिजिटल विस्तार : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से “Make in India” और “Vocal for Local” की अपील करते रहे हैं। Zoho को अपनाना इसी संदेश को डिजिटल क्षेत्र में ठोस रूप देने जैसा है।
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भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए प्रेरणा : एक मंत्री का Zoho को चुनना सिर्फ़ Zoho के लिए ही नहीं बल्कि हर भारतीय टेक स्टार्टअप के लिए यह संदेश है कि यदि गुणवत्ता है, तो वैश्विक दिग्गजों से भी मुकाबला किया जा सकता है।
Zoho vs Microsoft: Symbolism Beyond Tools
अगर देखा जाए तो Microsoft Office, PowerPoint और Excel लंबे समय से कार्यस्थलों पर मानक (standard) बने हुए हैं। ऐसे में Zoho Writer, Zoho Sheet और Zoho Show को चुनना सीधे तौर पर उस परंपरा को चुनौती देना है। हालांकि कार्यक्षमता और फीचर्स में Microsoft और Google अभी भी कई जगह आगे माने जाते हैं, लेकिन Zoho का फायदा यह है कि यह पूरी तरह भारतीय इंजीनियर्स द्वारा विकसित और संचालित प्लेटफ़ॉर्म है, जो लगातार अपडेट हो रहा है।
क्या बाकी मंत्रालय और जनता भी करेंगे फ़ॉलो?
अश्विनी वैष्णव ने अपने पोस्ट और बयानों में साफ़ कहा है कि वे प्रधानमंत्री मोदी की स्वदेशी कॉल से प्रेरित होकर यह कदम उठा रहे हैं और चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग Zoho जैसी भारतीय कंपनियों को अपनाएँ। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या बाकी मंत्री, मंत्रालय और सरकारी विभाग भी इसी राह पर चलेंगे? अगर ऐसा होता है तो Microsoft और Google जैसे विदेशी खिलाड़ियों को भारतीय सरकारी मार्केट में कड़ी चुनौती मिल सकती है।

Zoho का महत्व ग्रामीण भारत के लिए
Zoho के संस्थापक वेम्बु का विज़न सिर्फ़ मुनाफ़ा नहीं बल्कि तकनीक को गाँव-गाँव तक पहुँचाना भी रहा है। वे खुद तमिलनाडु के गाँव से कंपनी को संचालित करते हैं और स्थानीय युवाओं को रोजगार देकर “ग्रामीण BPO” और “विलेज टेक सेंटर” जैसे मॉडल्स पर काम करते हैं।इसलिए जब एक केंद्रीय मंत्री Zoho को चुनते हैं, तो यह सिर्फ़ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में नहीं बल्कि ग्रामीण भारत से वैश्विक इनोवेशन को मान्यता देने जैसा भी है।
डिजिटल स्वदेशीकरण की ओर एक और कदम
भारत सरकार पहले ही डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे UPI, Aadhaar, DigiLocker, ONDC आदि को बढ़ावा दे चुकी है। इन पहलों ने न सिर्फ़ सरकारी सेवाओं को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाया है, बल्कि डिजिटल इंडिया की नींव को भी मज़बूत किया है।
Zoho जैसे स्वदेशी ऑफिस सुइट को अपनाने का कदम, डिजिटल स्वदेशीकरण की दिशा में एक प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम साबित हो रहा है। यह केवल तकनीकी निर्णय नहीं बल्कि राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) और डिजिटल संप्रभुता की दिशा में एक मजबूत संदेश भी है।
भारतीय सॉफ़्टवेयर इंडस्ट्री के लिए संकेत
Zoho का यह उदाहरण अन्य भारतीय सॉफ़्टवेयर कंपनियों के लिए प्रेरणास्पद है। लंबे समय तक विदेशी सॉफ़्टवेयर के दबदबे के कारण भारतीय कंपनियों को सरकारी अनुबंधों और बड़े प्रोजेक्ट्स में कठिनाई का सामना करना पड़ता रहा है।अब यदि Zoho जैसे प्लेटफ़ॉर्म को केंद्रीय मंत्री द्वारा अपनाया जाता है, तो यह संकेत देता है कि स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी है।
भविष्य की राह और चुनौतियाँ
हालांकि IT मंत्री का Zoho को अपनाना एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी हैं।
- तकनीकी प्रशिक्षण : सरकारी कर्मचारियों को नए प्लेटफ़ॉर्म की ट्रेनिंग देने की आवश्यकता होगी।
- इंटीग्रेशन : मौजूदा सिस्टम और डेटा माइग्रेशन की प्रक्रिया को सुचारु रूप से करना होगा।
- सतत अपडेट और सपोर्ट : Zoho जैसे टूल्स को नियमित रूप से अपडेट करना और तकनीकी सपोर्ट सुनिश्चित करना आवश्यक है।
इन चुनौतियों को पार करते हुए, यदि Zoho और अन्य स्वदेशी टूल्स व्यापक रूप से अपनाए जाते हैं, तो यह कदम भारत के डिजिटल स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर तकनीक के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव का Zoho को अपनाना केवल व्यक्तिगत पसंद नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल आत्मनिर्भरता मिशन की दिशा में एक स्पष्ट संदेश है। यह कदम न केवल स्वदेशी सॉफ़्टवेयर को बढ़ावा देता है, बल्कि यह राष्ट्रीय डेटा सुरक्षा, स्टार्टअप इकोसिस्टम, और ग्रामीण रोजगार के लिए भी अहम है।
जैसे-जैसे और मंत्रालय और सरकारी विभाग Zoho और अन्य स्वदेशी टूल्स को अपनाएँगे, भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और यह देश की तकनीकी संप्रभुता की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा।इस कदम से साफ़ हो गया है कि डिजिटल इंडिया सिर्फ़ योजना और पॉलिसी तक सीमित नहीं है, बल्कि हर सरकारी अधिकारी और नागरिक के रोज़मर्रा के कामकाज में आत्मनिर्भरता की भावना को भी बढ़ावा देता है।
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