अक्टूबर 2025 के अंतिम दिनों में बंगाल की खाड़ी में एक निम्न-दबाव क्षेत्र विकसित हुआ, जिसे Cyclone Montha नाम दिया गया। यह धीरे-धीरे गहराता गया और 28-29 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा तट के पास गंभीर स्पर्द्धा (Severe Cyclonic Storm) की श्रेणी में लैंडफॉल हुआ। हवाओं की गति 90-110 किमी/घंटा तक दर्ज की गई।
किन राज्यों पर पड़ा सबसे ज्यादा असर?
लैंडफॉल के सिलसिले में तटीय आंध्र प्रदेश बुरी तरह प्रभावित हुआ—पेड़ों के उखड़ने, बिजली खंभों के गिरने और भारी बारिश की वजह से सड़कों पर पानी भर गया। इसके साथ ही Odisha के आठ जिलों में रेड-अलर्ट जारी किया गया। Jharkhand, West Bengal और Chhattisgarh में भी अगले 30-31 अक्टूबर तक भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
राहत-और-बचाव आँच में
सरकारों ने हजारों लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया। आंध्र में 38,000 से अधिक लोग इवैक्यूएट किए गए। राज्यीय बचाव दल, एनडीआरएफ (NDRF)-एसडीआरएफ (SDRF) सक्रिय हैं। स्कूल-कॉलेज बंद किए गए और तटीय इलाकों में ड्रोन और नावों की मदद से राहत काम जारी है।

जान-माल के नुकसान और अभी तक का आकलन
आंध्र प्रदेश ने इस तूफान से लगभग ₹53 बिलियन (US $603 million) का नुकसान आंका है, जिसमें सबसे अधिक असर कृषि क्षेत्र पर हुआ—लगभग ₹8.68 बिलियन। उधर, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कम-से-कम एक व्यक्ति की मौत हुई और कई पशु प्रभावित हुए।
आगे क्या जोखिम है?
मौसम विभाग के मुताबिक, तूफान कमजोर होते हुए भी 31 अक्टूबर तक झारखंड-बिहार-छत्तीसगढ़ में भारी-बहुत भारी बारिश की संभावना बनाये हुए है। यह चक्रवात एक बार फिर यह साबित करता है कि तटीय और अंतःक्षेत्रीय राज्यों को जलवायु-चक्र व इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयारियों को लेकर सतर्क रहना होगा। अब सवाल यह है—अगली बार बेहतर तैयारी होगी या फिर हम “चक्रवात का इंतज़ार” करते रहेंगे?
Cyclone Montha ने अपने साथ केवल बारिश-हवा नहीं बल्कि हमारी आपदा-प्रबंधन क्षमताओं पर भी सवाल किया है,राहत-कार्य तेजी से चल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमें यह याद रखना होगा—तैयारी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
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